JMM Central Convention: शिबू सोरेन JMM के संस्थापक संरक्षक, हेमंत सोरेन बनाए गए केंद्रीय अध्यक्ष

JMM Central Convention: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन के दूसरे दिन मंगलवार को दिशोम गुरु शिबू सोरेन झामुमो के संस्थापक संरक्षक बनाए गए हैं. उन्होंने झारखंड के सीएम सह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी. रांची के खेलगांव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन का आयोजन किया गया है.

By Guru Swarup Mishra | April 15, 2025 4:58 PM

JMM Central Convention: झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन के दूसरे दिन मंगलवार को दिशोम गुरु शिबू सोरेन झामुमो के संस्थापक संरक्षक बनाए गए. उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी. रांची के खेलगांव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन का आयोजन किया गया है. 53 साल में झामुमो का यह 13वां केंद्रीय महाधिवेशन है. रांची में दूसरी बार इसका आयोजन किया गया है.

38 साल बाद जेएमएम में नयी भूमिका में शिबू सोरेन


38 साल बाद झारखंड के पूर्व सीएम और झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन ने यह पद छोड़ दिया. दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब नयी भूमिका में हैं. वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक हैं. पार्टी में उनकी जगह झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन ने लिया है. शिबू सोरेन ने उन्हें पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी.

हेमंत सोरेन 10 वर्षों तक रहे झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष

हेमंत सोरेन को वर्ष 2015 के जमशेदपुर महाधिवेशन में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी. इनके नेतृत्व में पार्टी ने दो-दो विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. हेमंत सोरेन ने करीब 10 वर्षों तक पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष की जवाबदेही निभायी.

विनोद बिहारी महतो थे झामुमो के पहले अध्यक्ष


1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के बाद विनोद बिहारी महतो झामुमो के पहले अध्यक्ष बने थे. 1973 से 1984 तक विनोद बिहारी महतो अध्यक्ष रहे थे. 1984 में राजनीतिक परिस्थितियां बदलीं, तो शिबू सोरेन ने निर्मल महतो को अध्यक्ष बनाया. शिबू सोरेन लगभग 38 वर्षों तक पार्टी के अध्यक्ष रहे.

झारखंड मुक्ति मोर्चा परिसीमन के खिलाफ


झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महाधिवेशन के पहले दिन सोमवार को 16 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए गए थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी की ओर से पेश राजनीतिक प्रस्ताव में पार्टी ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर हल्ला बोला था. इसमें रोजगार और जमीन वापसी के मुद्दे पर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार से मांग रखी गयी थी. राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि अल्पसंख्यक, एसटी और एससी के प्रतिनिधित्व पर हमला कर उनके अधिकारों में कटौती की जा रही है. परिसीमन संविधान के अनुच्छेद 80-81 के खिलाफ है. इसमें लोकसभा और राज्यसभा की संख्या निश्चित की गयी है. झामुमो ने खतियान आधारित पहचान को स्थानीय पहचान प्रदान करते हुए जिला संवर्ग में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नियुक्तियों को 100 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग रखी है.

स्थायी पट्टा, सीएनटी-एसपीटी एक्ट, भू-वापसी आयोग के गठन की मांग

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड में आदिवासियों और मूलवासियों को स्थायी पट्टा देने के प्रस्ताव को पारित करने की मांग रखी है. सीएनटी और एसपीटी एक्ट में जोड़-तोड़ पर रोक के लिए कारगर कानून लाने की मांग की गयी है. भू-वापसी आयोग के गठन की मांग शामिल है. आदिवासी-मूलवासी को जमीन पर स्थायी स्वामित्व मिलना चाहिए. जंगल में रहनेवाली जनजातियों को उनके आवासीय और कृषि के लिए स्थायी राजस्व पट्टा और वनोपज पर अधिकार की मांग की गयी है.

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