Kargil Diwas 2024: क्रांतिकारियों की धरती रही है झारखंड, आज भी रोमांचित करती है इन जवानों की कहानी
युद्ध में कैप्टन नचिकेता को पाकिस्तानियों ने प्रिजनर ऑफ वार बना लिया था. कैप्टन सौरभ कालिया के जहाज को पाकिस्तानियों ने मार गिराया था.
By Ajay Dayaal | July 26, 2024 7:59 AM
रांची : करगिल युद्ध में देश के हर हिस्से से वीर सपूतों ने हिस्सा लिया. इस युद्ध में झारखंड के जांबाजों ने भी मां भारती के लिए अपने खून बहाये. करगिल विजय की गाथा झारखंडी शहीदों ने अपने खून से लिखी. आज पूरा झारखंड ऐसे वीर सपूतों को नमन कर रहा है. 1999 के करगिल युद्ध में झारखंड के गुमला के तीन सपूत हवलदार जॉन अगस्तुस एक्का, हवलदार बिरसा उरांव और हवलदार विश्राम मुंडा दुश्मनों की गोलियों का जवाब बहादुरी से देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. पलामू के दो वीर योद्धा युगंबर दीक्षित और प्रमोद कुमार महतो ने भी देश की खातिर अपनी जान दे दी. रांची के नायक सूबेदार नागेश्वर महतो की शहादत कौन भूल सकता है. बिहार रेजिमेंट में शामिल हजारीबाग के विद्यानंद सिंह भी उस लड़ाई में शहीद हुए थे. करगिल युद्ध में शामिल सूबेदार मेजर एमपी सिन्हा बताते हैं कि युद्ध में 527 जवान शहीद और 1300 घायल हुए थे. पूरे युद्ध में बोफोर्स तोप की अहम भूमिका रही. युद्ध में कैप्टन नचिकेता को पाकिस्तानियों ने प्रिजनर ऑफ वार बना लिया था. कैप्टन सौरभ कालिया के जहाज को पाकिस्तानियों ने मार गिराया था. झारखंड के जांबाज हीरो रामरतन महतो उस युद्ध में घायल हो गये थे, उनके पैर में आज भी रॉड लगा हुआ है.
करगिल युद्ध के कई हीरो बड़े गर्व से बताते हैं कहानी
आज भी झारखंड में करगिल युद्ध के कई हीरो उस युद्ध की कहानी बताते हुए रोमांचित हो जाते हैं. उनमें कारपोरल अशोक कुमार झा, नायक सूबेदार रामरतन महतो, सूबेदार मेजर एमपी सिन्हा, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रदीप कुमार झा, मुकेश कुमार, सूबेदार एचएन यादव आदि शामिल हैं. वायुसेना के पूर्व कारपोरल अशोक कुमार झा कहते हैं कि शहीदों को देखकर खून खौलता था. लगता था कि हमें भी मौका मिले और हम दुश्मन का सफाया करें. 26 जुलाई 1999 को हमने विजय पायी. उस दिन पूरे देश ने दिवाली मनायी. एके झा ने बताया कि थल सेना को सपोर्ट करने के लिए वे 221 स्क्वाड्रन हलवारा, लुधियाना में मिग-23 के टेक्नीशियन के रूप में तैनात थे.
योद्धा :
करगिल योद्धा लेफ्टिनेंट कर्नल प्रदीप कुमार झा युद्ध के दौरान श्रीनगर में 663 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन में पोस्टेड थे. वे उस समय अपनी यूनिट में पायलट की ड्यूटी करते हुए कई तरह के ऑपरेशन संचालित कर रहे थे. अपनी जान की बाजी लगाकर तोप व गोला के बीच से वे घायल जवानों को बचा कर ले आये थे.
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