आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार
शीतल ओहदार ने रांची उपायुक्त को आगाह करते हुए कहा कि हुंकार महारैली में लाखों की संख्या में कुड़मी समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा, अपने पारंपरिक नाच-गाना जैसे छऊ नाच, झूमर नाच, पता नाच, नटुवा नाच, घोड़ा नाच एवं गाजा-बाजा के साथ शामिल होंगे. इसकी ग्राम स्तर पर बड़ी तैयारी की जा रही है. आप रोकना चाहें तो रोक लें. कुरमी विकास परिषद के अध्यक्ष रंधीर चौधरी ने कहा कि हुंकार महारैली की आह्वान पूरे झारखंड में फैल गया है क्योंकि कुड़मी समाज के ऊपर चौतरफा हमला हो रहा है. समाज 73 वर्षों से अपनी पहचान और संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं. युवा वर्ग अपने अधिकार के प्रति सजग हो गये हैं. इसलिए अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं.
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कुड़मी सांसदों से भी जोरदार आवाज उठाने का आग्रह
कुड़मी विकास मंच के अध्यक्ष संजीव महतो ने कुड़मी सांसदों से भी आग्रह किया है कि अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग को ज़ोरदार तरीके से उठाएं. कुड़मी संस्कृति मंच के अध्यक्ष सपन कुमार महतो ने कुड़मी के इतिहास की जानकारी देते हुए कहा कि 3 मई 1913 को प्रकाशित इंडिया गजट नोटिफिकेशन नं० 550 में ओबरिजिनल एनीमिस्ट मानते हुए छोटानागपुर के कुड़मियों को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकार कानून 1865 के प्रधानों से मुक्त रखा गया तथा 16 दिसंबर 1931 को प्रकाशित बिहार -उड़ीसा गजट नोटिफिकेशन नं० 49 पटना में भी साफ-साफ उल्लेख किया गया कि बिहार-उड़ीसा में निवास करने वाले मुंडा, उरांव ,संथाल, हो भूमिज, खड़िया, घासी, गोंड़, कांध कोरवा, कुड़मी, माल सौरिया और पान को प्रिमिटिव ट्राइब मानते हुए भारतीय उत्तराधिकार कानून 1925 से मुक्त रखा गया. कुड़मी जनजाति को सेंसस रिपोर्ट 1901 के वॉल्यूम (1) में पेज 328 -393 में, सेंसस रिपोर्ट 1911 के वॉल्यूम (1) के पेज 512 में तथा सेंसस रिपोर्ट 1921 के वॉल्यूम (1) में 356 – 365 में स्पष्ट रूप से कुड़मी जनजाति को एबोरिजनल एनीमिस्ट के रूप में दर्ज किया गया. पटना हाईकोर्ट के कई जजमेंट में कुड़मी को जनजाति माना गया है. बहुत सारे दस्तावेज होने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा कुड़मी/कुरमी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर रखा गया है.
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ऐतिहासिक होगी महारैली
झारखंड कुरमी महासभा के अध्यक्ष कुमेश्वर महतो ने कहा कि आज कुड़मी जनजाति अन्य सभी जनजातियों से रोजगार, शिक्षा के साथ-साथ राजनीतिक भागीदारी में भी अंतिम पायदान पर चला गया है. आज समाज हर दृष्टिकोण से पीड़ित और शोषित है. इसीलिए हुंकार महारैली में लगभग पांच लाख की संख्या में समाज के लोग शामिल होंगे. यह अब तक की ऐतिहासिक महारैली होगी. इस बैठक को बाईसी कुटुम्ब के अध्यक्ष ज्ञानेश्वर सिंह, रामपोदो महतो, सखीचंद महतो, दानिसिंह महतो, सुषमा देवी आदि ने संबोधित किया. बैठक में मुख्य रूप से सखीचंद महतो, दीपक महतो, थानेश्वर महतो, देवकी महतो, हेमलाल महतो, मुरलीधर महतो, राजेन्द्र महतो, रचिया महतो, क्षेत्र मोहन महतो, शशिरंजन महतो, मोहन महतो, परमेश्वर महतो, गौरीशंकर महतो, रघुनाथ महतो, दिनेश महतो, श्रीनाथ महतो ,सोना लाल महतो, डब्लू महतो, ललित मोहन महतो, सुनील महतो, फुलको देवी, रावंति देवी, जयप्रकाश महतो, जितेंद्र महतो, सुदर्शन महतो समेत अन्य उपस्थित हुए.
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