रांची. मस्जिद-ए-जाफरिया में मजलिस जिक्रे शहीदाने कर्बला की शुरुआत हो गयी है. मुहर्रम का चांद देखते ही शिया मुसलमानों के घर में हर तरफ या हुसैन की सदा गूंजने लगी. मस्जिद-ए-जाफरिया में 10 दिवसीय मजलिसे जिक्रे शहीदाने कर्बला का आयोजन छह जुलाई तक होगा. इस मजलिस को मुख्य रूप से हाजी मौलाना सैयद तहजीब उल हसन रिजवी इमाम जुमा व जमाअत मस्जिद ए जाफरिया रांची संबोधित कर रहे हैं. मौलाना तहजीब उल हसन ने बताया कि शहादत हुसैन से इस्लाम को जिंदगी मिली. अगर इमाम ए हुसैन ने अपने पूरे घर की कुर्बानी कर्बला में नहीं दी होती तो आज इस्लाम का कोई नामलेवा ना होता. उन्होंने कहा कि मुहर्रम इसलिए मनायें ताकि इस्लाम पहचाना जाये. इस्लाम सिर्फ नमाज से नहीं बल्कि अच्छे अखलाक से पहचाना जाता है.
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