झारखंड के जंगलों में मॉनसून की दस्तक, सेहत और स्वाद से भरपूर मशरूम से सजा बाजार

Monsoon in Jharkhand: मॉनसून में झारखंड के बाजारों में कई स्वादिष्ट और सेहत से भरपूर मशरूम और साग दस्तक देते हैं. यहां जंगलों से मशरूम की कई पौष्टिकारक वेराइटी निकलती है, जिसे रुगड़ा और खुखड़ी जैसे नामों से जाना जाता है. ये मशरूम प्रोटिन के पैकेज होते हैं, जिसे बेचकर ग्रामीणों को आर्थिक सहायता मिलती है.

By Rupali Das | July 1, 2025 10:32 AM
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Monsoon in Jharkhand: झारखंड में मॉनसून के दस्तक देते ही जंगल में हरियाली झूम उठती है. इसी बीच जंगल से पोषण और स्वाद की नयी सौगात मिलने लगती है. झारखंड के जंगलों से सालों भर विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ निकलते हैं. वहीं, बारिश के दिनों में कुछ खास वनोपज निकलते हैं, जो खाने में तो स्वादिष्ट होते ही हैं, सेहत के लिए भी लाभदायक होते हैं.

जंगलों से निकलती है मशरूम की वेराइटी

झारखंड के घने जंगलों में मॉनसून के दस्तक देते ही खुखड़ी, रुगड़ा जैसे मशरूम के विभिन्न प्रकार निकलने शुरू हो गये हैं. इसके साथ ही कई प्रकार के साग, कंद आदि भी जंगलों से निकलते हैं. वन क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण इन वनोपजों को जमा कर न केवल अपने भोजन का प्रबंध करते हैं. बल्कि अब ये उत्पाद शहरों की मंडियों और बाजारों तक भी पहुंचा रहे हैं. मॉनसून के दिनों में ऐसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहे हैं.

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा सहारा

झारखंड के जंगल अब सिर्फ पारंपरिक जीवनशैली का हिस्सा नहीं. बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने वाले स्तंभ भी बनते जा रहे हैं. मॉनसून में निकलने वाली यह वन संपदा, जहां एक ओर ग्रामीणों के लिए रोजगार का साधन बन रही है. वहीं, दूसरी ओर शहरी लोगों को भी सेहतमंद विकल्प मुहैया करा रही है. जंगल से निकलने वाले रुगड़ा की शहर के बाजार में 700 से 800 रुपये प्रति किलो और खुखड़ी की 1000 से 1200 रुपये प्रति किलो कीमत है.

पोषण से भरपूर जंगली मशरूम और साग

पीसीसीएफ सह सदस्य सचिव झारखंड जैव विविधता पार्षद संजीव कुमार ने बताया कि मशरूम की पहचान उनके रंग, गंध, स्वाद और संरचना के आधार पर की जाती है. कुछ प्रजातियां खाने योग्य है. इसलिए इन्हें सावधानी से पहचाना जाना चाहिए. ये सभी कवक प्रजातियां जंगलों, आर्द्र स्थानों, शीतल और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पायी जाती हैं.

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होम्योपैथी में प्रयोग किया गया मशरूम

संजीव कुमार ने कहा कि मशरूम की कुछ प्रजातियों का आयुर्विज्ञान और होम्योपैथी में प्रयोग किया गया है. मशरूम में उपस्थित क्षारीय राख पाचन शक्ति को प्राकृतिक रूप से बढ़ाता है, जिससे भूख लगना शुरू हो जाती है. कब्ज भी ठीक हो जाते हैं. ब्लड प्रेशर वाले रोगियों के लिए कब्ज या अजीर्ण रोग, मोटापा, हृदय रोग, कैंसर रोगियों व कुपोषण रोगियों के लिए मशरूम का सेवन काफी लाभदायक है. मशरूम में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन व खनिज उपलब्ध है.

साग-कंद से भरपूर है जंगल की रसोई

बरसात के मौसम में केवल मशरूम ही नहीं, बल्कि जंगलों से निकलने वाले पारंपरिक साग और कंद भी लोगों के भोजन और पोषण का अहम हिस्सा बनते हैं. इनमें करमी साग, कोयनार, पाइ साग, ठेपा साग, भटकोंदा, सुरन, खनिया कंदा, पिटूर कंदा, कचनार की कलियां, चार (चिरौंजी) और बांस की कोपलें (करील, सधना, हडुआ) प्रमुख हैं.

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