रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय (टीआरएल) द्वारा मंगलवार को झारखंड के वरिष्ठतम कलमकार, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पद्मश्री डॉ गिरिधारी राम गौंझू की 74वीं जयंती मनायी गयी. स्वागत गीत शोधार्थी बुद्धेश्वर बड़ाईक एवं चन्द्रिका कुमारी द्वारा, संचालन नेहा भगत एवं विक्की मिंज जबकि धन्यवाद ज्ञापन नागपुरी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ रीझू नायक ने किया. मौके पर नागपुरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने डॉ गिरिधारी राम गौंझू के साथ बिताए पलों को साझा करते हुए कहा कि डॉ गिरिधारी राम गौंझू में जन्मजात झारखंडी लोकसंगीत गीत कूट-कूट कर भरा था. वे जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर सोचने वाले व्यक्ति थे. विविध विषयों पर समान रूप से अधिकार रखने वाले डॉ गौंझू विभिन्न विधाओं में पारंगत थे. उन्होंने कहा कि डॉ गौंझू झारखंड की संस्कृति, भाषा और भौगोलिक परिपेक्ष्य में लेखन करने वाले एक मात्र व्यक्ति थे. समग्र रूप से पूरे झारखंड को एक साथ लेकर चलते थे. उन्होंने कहा कि अपने काम के प्रति समर्पित रहने वाले डॉ गौंझू ज्ञान के मामले में महासागर थे. अद्भुत व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे. वे हमेशा दूसरों की सहायता के लिए सहज ही उपलब्ध रहते थे. कोई भी व्यक्ति उनके दरवाजे से आज तक बैरंग नहीं लौटा.
संबंधित खबर
और खबरें