नक्सलियों की यूनिवर्सिटी का मजबूत स्तंभ था प्रयाग मांझी, सारंडा तक था असर

Prayag Manjhi Jharkhand: झारखंड के बोकारो जिले के ललपनिया में हुई मुठभेड़ में नक्सलियों का एक बेहद मजबूत स्तंभ ढह गया. सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार बना प्रयाग मांझी उर्फ विवेक एक करोड़ रुपए का इनामी था. वह नक्सलियों की यूनिवर्सिटी का एक मजबूत स्तंभ था, जिसका असर सारंडा तक था. प्रयाग मांझी की मौत के बाद अब मिसिर बेसरा और उसके साथियों पर दबाव बढ़ गया है, जिसने अपना ठिकाना सारंडा में बना रखा है.

By Mithilesh Jha | April 23, 2025 4:37 PM
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Prayag Manjhi Jharkhand: बोकारो जिले के ललपनिया स्थित लुगु बुरू पहाड़ की तलहटी में हुई मुठभेड़ में मारा गया एक करोड़ रुपए का इनामी भाकपा माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य प्रयाग मांझी उर्फ विवेक नक्सलियों की यूनिवर्सिटी का एक मजबूत स्तंभ था. वह धनबाद जिले के टुंडी का रहने वाला था. माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर और केंद्रीय कमेटी सदस्य अनल दा उर्फ तूफान पीरटांड़ (गिरिडीह) के निवासी हैं. नक्सल के जानकार अधिकारी बताते हैं कि टुंडी से लेकर पीरटांड़ तक के 3 नक्सलियों पर एक-एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित हैं. ऐसे में प्रयाग मांझी उर्फ विवेक की मौत का असर सारंडा तक जायेगा, क्योंकि मिसिर बेसरा और अनल दा सहित कई नक्सली इस क्षेत्र के हैं, जिन्होंने इन दिनों सारंडा को अपना ठिकाना बना रखा है.

एजेंसियों का संदेश साफ- सरेंडर करो, नहीं तो मारे जाओगे

एक करोड़ रुपए के इनामी केंद्रीय कमेटी के एकमात्र सदस्य असीम मंडल ही पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर का रहने वाला है. पिछले दिनों नक्सलियों की ओर से वार्ता का प्रस्ताव आया था. राज्य और केंद्र की एजेंसियों ने उनके प्रस्ताव पर अब तक कोई पहल नहीं की है. एजेंसियों ने साफ कर दिया था कि सरेंडर कर दो, नहीं तो मारे जाओगे.

पहली बार 2002 में प्रयाग मांझी पर हुई थी प्राथमिकी

एक करोड़ के इनामी प्रयाग मांझी उर्फ विवेक के खिलाफ पीरटांड़ थाना में पहली बार सात जून 2002 को नक्सली घटना को अंजाम देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसके बाद 2008 में भी पीरटांड़ में ही केस हुआ. फिर वह सारंडा चला गया. वहां के जराइकेला थाना में वर्ष 2010 और वर्ष 2011 में 4 केस दर्ज हुए. फिर प्रयाग मांझी वापस पारसनाथ व लुगु बुरू इलाके में लौट आया.

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2013 में सारंडा चला गया प्रयाग मांझी उर्फ विवेक

वर्ष 2011 में विष्णुगढ़, पीरटांड़, गिरिडीह मुफस्सिल में नक्सली वारदात को अंजाम दिया. तब पुलिस की बढ़ती दबिश के बाद 2013 में सारंडा चला गया. इसके बाद टेबो, छोटानागरा, सोनुआ की 3 वारदातों में शामिल रहा. वर्ष 2015 में वापस गिरिडीह-बोकारो क्षेत्र लौटा. इसके बाद मधुबन, बेरमो, डुमरी में वर्ष 2018 तक कई कांडों में शामिल रहा. पुन: मई 2018 में सारंडा लौटा. फिर टोंटो, गोइलकेरा, टोकलो में नक्सल घटनाओं को अंजाम दिया. लातेहार के महुआटांड़ में भी इसके खिलाफ कई केस दर्ज हैं. 28 जनवरी 2025 को नक्सली घटना को लेकर अंतिम केस दर्ज किया गया था. उसके खिलाफ अब तक कुल 37 केस दर्ज किये गये थे.

2016 के बाद कोबरा बटालियन को मिली बड़ी सफलता

लातेहार जिले के करमडीह छिपादोहर क्षेत्र में 22 नवंबर 2016 को एक करोड़ के इनामी नक्सली सुधाकरण के दस्ते के साथ सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के जवानों की मुठभेड़ हुई थी. इसमें कोबरा बटालियन ने 6 नक्सलियों को मार गिराया था. इसके बाद सुधाकरण झारखंड छोड़कर तेलंगाना भाग गया था.

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लुगु बुरू का ऑपरेशन था ‘क्लीन ऑपरेशन’

इसके बाद, 21 अप्रैल 2025 को कोबरा बटालियन ने लुगु पहाड़ की तलहटी में एक करोड़ रुपए के इनामी भाकपा माओवादी के केंद्रीय कमेटी सदस्य विवेक उर्फ प्रयाग मांझी सहित 8 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया. यह अपने आप में सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि है. यह पूरी तरह से ‘क्लीन ऑपरेशन’ था. हालांकि, बकोरिया (पलामू) में 8 जून 2015 को हुए कथित मुठभेड़ में 12 लोग मारे गये थे, लेकिन बाद में यह एनकाउंटर विवादों में आ गया था.

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