आदित्य प्रसाद ने कहा कि देव कुमार ने अपनी दुर्लभ बिरोहोर जनजाति पर केंद्रित शब्दकोश के माध्यम से बिरहोर जनजाति की भाषा एवं संस्कृति को संरक्षित का एक बड़ा प्रयास किया गया है. इसमें सामान्य बोलचाल की भाषा का समावेश करते हुए हिंदी एवं अंग्रेजी रुपांतरण के साथ रंग-बिरंगे सुंदर चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है.
श्री कुमार रचित ‘बिरहोर – हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश’ पुस्तक की सराहना वैश्विक स्तर पर हो रही है. जर्मनी के कील विश्वविद्यालय के शोध विद्वान डॉ नेत्रा पी पौडयाल एवं यूरोपियन युनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट एंड ईस्ट नीदरलैंड के कुलपति प्रो मोहन के गौतम ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की भी सराहना की है.
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड राज्य में विलुप्त प्राय आदिम बिरहोर जनजाति की जनसंख्या मात्र 10,742 बची है. यह राज्य क्रे रांची, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो आदि जिलों में निवास करती है. ओरमांझी थाना के दड़दाग गांव निवासी देव कुमार ने इस जनजाति को ध्यान में रखते हुए ‘बिरहोर- हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश’ की रचना की है. प्रारंभिक कक्षाओं की पढ़ाई में यह पुस्तक काफी उपयोगी साबित हो रही है.