आर-पार के मूड में आदिवासी संगठन, रांची बंद से केवल इन लोगों को रखा गया मुक्त, प्रशासन ने चेताया

Ranchi Bandh: आदिवासी संगठनों ने 22 मार्च को रांची बंद का आह्वान किया है. हालांकि आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों, दवा दुकान के कर्मियों समेत कई लोगों को इस बंद से मुक्त रखा गया है.

By Sameer Oraon | March 21, 2025 7:11 PM
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रांची, प्रणव: रांची के सिरम टोली फ्लाईओवर रैंप विवाद को लेकर आदिवासी संगठनों ने 22 मार्च को रांची बंद का अह्वान किया है. इस दिन संगठन के सदस्य सुबह से ही सड़क पर उतरकर चक्का जाम करके राजधानी को बंद करवायेंगे. हालांकि आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों, अस्पताल संचालकों, दवा दुकान के कर्मियों, एबुलेंस चालकों और मरीजों को इस बंद से मुक्त रखा गया है. बंद का समर्थन करने वाले लोगों ने भी इसे सफल बनाने के लिए राजधानीवासियों से सहयोग की अपील की है. आदिवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरना स्थल के पास से रैंप नहीं हटाया गया तो कोर्ट में जाने की बात कही है. दूसरी तरफ बंद के दौरान किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए रांची प्रशासन भी तैनात है. प्रशासन ने साफ शब्दों में बंद कराने वालों को चेताया है कि वह किसी भी गैर कानूनी कार्य को बर्दाश्त नहीं करेगा. साथ ही ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करेगा.

क्या कहा है रांची प्रशासन ने

रांची प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि कुछ बंद समर्थक द्वारा हो-हंगामा और तोड़ फोड़ की साजिश की चल रही हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी. प्रशासन ने बंद आह्वान करने वाले संगठनों से अपील की है कि वह किसी पर भी बल प्रयोग न करें और न ही दबाव डालें. बंद शांतिपूर्ण होना चाहिए. प्रशासन का कहना है कि इस अवधि में विधानसभा सत्र जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियां और सेंट जेवियर्स कॉलेज एवं विभिन्न शिक्षण संस्थानों में परीक्षाओं का आयोजन हो रहा है. इसलिए हिदायत दी जाती है कि चक्का जाम में शामिल कोई भी व्यक्ति किसी छात्र-छात्राओं और शिक्षण संस्थान के सदस्यों और जनसामान्य को परेशान न करें, नहीं तो कड़ी कार्रवाई होगी.

बंद को किन किन संगठनों ने किया समर्थन

बंद का झारखंड चेंबर, अंजुमन इस्लामिया, रोस्पा टावर दुकानदार संघ, ऑटो रिक्शा चालक संघ, बस चालक संचालक, मेन रोड दुकानदार और क्रिशचयन माइनॉरिटी फ्रंट जैसे संगठनों का समर्थन प्राप्त है. वहीं, शुक्रवार को दोपहर तीन बजे मशाल जुलूस निकाला जाएगा. गुरुवार को आदिवासी संगठनों ने एक बैठक कर मीडिया से संवाद किया. जहां उन्होंने राज्य सरकार को इस आंदोलन का जिम्मेदार बताया. जय आदिवासी केंद्रीय परिषद के अध्यक्ष निरंजना हेरेंज टोप्पो ने कहा कि संथाल आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांग बुरु पर बाहरी तत्वों ने कब्जा जमा लिया है, जिससे आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है. वहीं, युवा आदिवासी नेता राहुल तिर्की ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा और बाबा कार्तिक उरांव के नाम से जुड़े सरहुल महोत्सव सह शोभायात्रा को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, जो आदिवासी समाज की आस्था पर प्रहार के समान है.

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सरहुल महोत्सव हमारे पूर्वजों की धरोहर : पवन तिर्की

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष पवन तिर्की ने कहा कि सरहुल महोत्सव और शोभायात्रा हमारे पूर्वजों की धरोहर है और इसे किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाएगा. वहीं, आदिवासी मूलवासी मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सूरज टोप्पो ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रांची में बन रहे फ्लाईओवर का रैंप सरना स्थल के सामने से नहीं हटाया गया, तो आदिवासी समाज इसके निर्माण को पूरा नहीं होने देगा और उद्घाटन भी नहीं होने देगा. यदि जरूरत पड़ी तो इस मुद्दे को लेकर न्यायालय का भी दरवाज खट-खटया जाएगा.

इनपुट : लीजा बाखला

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