Sawan 2025: बाबा की भक्ति में केसरिया हुआ कपड़ों का बाजार, श्रृंगार में दिख रही हरे रंग की धूम
Sawan 2025: श्रावण मास शुरू होने से पहले ही राजधानी रांची सावन के रंग में रंग चुकी है. पूरा बाजार हरी चूड़ियों-साड़ियों, श्रृंगार के सामान और गेरुआ रंग के वस्त्र से सज गये हैं. शहर के शिवालयों में भी सावन को लेकर तैयारियां हो चुकी हैं. हर सोमवार को बाबा की विशेष पूजा-अर्चना की जायेगी.
By Rupali Das | July 9, 2025 12:52 PM
Sawan 2025: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. पूरे प्रदेश में शिवभक्ति का उत्साह चरम पर है. एक ओर जहां शिवालयों में विशेष पूजा-अर्चना और श्रद्धालुओं की व्यवस्था को लेकर तैयारी तेज है. वहीं, दूसरी ओर बाजार में हरा और गेरुआ रंग पूरी तरह छा गया है. महिलाएं सावन के स्वागत के लिए हरी चूड़ियों, साड़ियों व पूजा सामग्री की खरीदारी में जुटी हैं. तो कांवरियों के लिए गेरुआ वस्त्र, गमछा, झोला, और ‘बोल बम’ की टी-शर्ट की भारी मांग देखी जा रही है. रांची के बाजारों में भी हरी चूड़ी, गेरुआ वस्त्र और श्रृंगार के सामान की काफी डिमांड है.
रांची के शिवालय सावन के लिए तैयार
रांची का ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, महाकाल मंदिर और सुरेश्वर महादेव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में सावन को लेकर विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं. सावन सोमवारी के अवसर पर अरघा के माध्यम से जलाभिषेक की व्यवस्था की गयी है. प्रत्येक सोमवार और नागपंचमी के दिन विशेष पूजा और महाआरती होगी. भक्तों के लिए जल, लोटा और कतारबद्ध दर्शन की व्यवस्था की गयी है. चुटिया स्थित सुरेश्वर महादेव मंदिर में इस बार भक्तों का प्रवेश पश्चिम द्वार से और निकासी दक्षिण द्वार से करायी जायेगी.
इस सावन हरी चूड़ियां महिलाओं की पहली पसंद बनी हुई है. रंगरेज गली, अपर बाजार और मेन रोड की दुकानों पर 50 से अधिक डिजाइनों की चूड़िया फिरोजाबाद से मंगायी गयी हैं. चूड़ियों की कीमत 30 से 100 प्रति डब्बा, जबकि पूरा मैचिंग सेट 150 तक का है. हरे रंग की साड़ियों और सूट्स की भी बड़ी रेंज उपलब्ध है. कॉटन, सिल्क, सिफॉन और चुनरी प्रिट की साड़ियों की कीमत 1000 से शुरू होकर 5000 तक जा रही है. युवतियों के बीच हरी कुर्ती, सेमी स्टिच सूट और प्लाजो की मांग सबसे अधिक है. मालूम हो कि हरी चूड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं.
देवघर जाने वाले कांवरियों के लिए भी बाजार पूरी तरह तैयार है. बाजार में गेरुआ टी-शर्ट, हाफ पैंट, गमछा, झोला की भरमार है. महाकाल, देवघर शिवलिंग की छवि और “बोल बम” स्लोगन वाले टी-शर्ट की कीमत 200 से 450 तक है. स्लोगन लिखे कॉटन कुर्ते 250. से 530, गमछा 100 से 250, और झोले 80 से 200 तक बिक रहे हैं. पूजा की दुकानों में शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाएं, विशेष रूप से बनारस, गया और जयपुर से मंगायी गयी हैं. शिवलिंग और नंदी की कीमत 50 से 5000 तक है. बाजार में स्फटिक और मार्बल के शिवलिंगों की भी बड़ी रेंज मौजूद है. लड्डू गोपाल के लिए मथुरा व वृंदावन से मंगाये गये हरे वस्त्र खास आकर्षण हैं.
सेक्टर वन निवासी राकेश झा ने बताया कि वे इस बार पत्नी के साथ सुल्तानगंज से देवघर की 105 किलोमीटर लंबी कांवर यात्रा पर जा रहे हैं. कोरोना काल के बाद यह उनकी पहली यात्रा होगी. वहीं, अशोक नगर की नीतू झा पिछले पांच वर्षों से कांवर यात्रा कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस बार उनका 70 सदस्यों वाला समूह “प्रभु कांवरियां संघ” भादो पूर्णिमा को जल लेकर यात्रा करेंगे. चार दिनों की पैदल यात्रा के बाद सभी देवघर में स्पर्श पूजा करेंगे.
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