
वरीय संवाददाता, रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में महिला व नाबालिगों के साथ होनेवाले दुष्कर्म तथा प्रताड़ना के मामलों को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा एक बार फिर स्टेटस रिपोर्ट दायर नहीं किये जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि कई बार स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए सरकार ने समय लिया है. जनवरी माह में ही सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा गया था. इसके बाद फिर एक और मौका दिया गया, लेकिन रिपोर्ट दायर नहीं किया गया. खंडपीठ ने कहा कि अगर सरकार का जवाब दायर नहीं होता है, तो मुख्य सचिव पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा. जुर्माने की यह राशि झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) में जमा करनी होगी. इसके बाद खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए जून माह के तीसरे सप्ताह में तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अधिवक्ता भारती काैशल ने जनहित याचिका दायर की है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने पांच बिंदुओं पर राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था. इसमें महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा के लिए राजधानी के प्रमुख स्थलों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने, खराब कैमरे को ठीक करने, स्कूल बसों में महिला स्टाफ रखने, बच्चों व महिलाओं की शिकायत के लिए स्कूलों में कंप्लेन बॉक्स रखने, महिलाओं को इमरजेंसी में सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर को अखबार सहित अन्य प्रचार माध्यमों के माध्यम से प्रचारित-प्रसारित करने आदि के संबंध में प्रगति की जानकारी देने को कहा गया था.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है