जानकारी के अनुसार, न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर पर पहले से ही कार्रवाई की तैयारी चल रही है. उनके खिलाफ शिकायत के आधार पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया था. इसके अलावा रेडियोलॉजी विभाग के एक सीनियर रेजीडेंट का नाम भी निजी प्रैक्टिस में आया है. निदेशक ने उक्त डॉक्टर को भी बुलाकर समझा दिया है. वहीं, सीनियर डॉक्टरों के अलावा इंटर्न और पीजी डॉक्टरों को अपनी प्रशिक्षण अविधि के दौरान ईमानदारी से काम करने को कहा गया है.
एनपीए लेते हैं, तो नहीं कर सकते हैं निजी प्रैक्टिस
रिम्स के डॉक्टरों को एम्स की तर्ज पर वेतन और एनपीए मिलता है. इसलिए डॉक्टर ड्यूटी ऑवर के बाद भी निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं. एनपीए लेनेवाले डॉक्टर को हर माह शपथ पत्र देना होता है कि वे निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. इसके बावजूद डाॅक्टर निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं.
रिम्स के दैनिक कर्मियों को आठ माह से नहीं मिला मानदेय
रिम्स में तैनात दैनिक कर्मियों को आठ माह से मानदेय नहीं मिला है. इससे कर्मचारियों को परिवार चलाने में परेशानी हो रही है. वहीं, बच्चों की फीस भी जमा नहीं कर पा रहे हैं. इससे कर्मचारी परेशान हैं. दैनिक कर्मियों का कहना है कि होली नजदीक है, लेकिन पैसा भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है. कुल 333 दैनिक कर्मी हैं. इनमें 269 पहले से दैनिक कर्मी के रूप में सेवा दे रहे है. वहीं, एजेंसी हटने के बाद गार्ड की नौकरी करने वाले 64 लोग दैनिक कर्मी के रूप में योगदान दे रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि पहले से कार्य करने वाले दैनिक कर्मियों को दो माह का मानदेय मिला है. लेकिन, बाद में योगदान देनेवाले 64 का वेतन आठ महीना से बाकी है. गौरतलब है दैनिक कर्मियों को प्रतिमाह 7,000 रुपये मानदेय मिलता है.