रांची: बच्चे को पैर दर्द की शिकायत पर सदर अस्पताल पहुंचे परिजनों को डॉक्टर ने निजी क्लिनिक पर बुलाया, मौत

अली खान चान्हो स्थित अपनी नानी के घर खेलते वक्त गिर गया था. घुटने से नीचे काफी दर्द था. परिजन 20 जुलाई की रात 1 बजे उसे सदर अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे.

By Prabhat Khabar News Desk | July 25, 2023 6:54 AM
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कर्बला चौक स्थित वार्ड-16 के अलीनगर निवासी अली खान (15) के पैर की हड्डी टूट गयी थी. पहले उसे सदर अस्पताल और बाद में सर्जरी के लिए निजी अस्पताल में भर्ती किया गया. रविवार रात 1:00 बजे अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गयी, तो आनन-फानन में उसे रिम्स रेफर कर दिया गया, जहां सोमवार तड़के 5:20 बजे उसकी मौत हो गयी. रिम्स में ही शव का पोस्टमार्टम किया गया.

परिजनों के अनुसार अली खान चान्हो स्थित अपनी नानी के घर खेलते वक्त गिर गया था. घुटने से नीचे काफी दर्द था. परिजन 20 जुलाई की रात 1:00 बजे उसे सदर अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे. पट्टी करने के बाद ड्यूटी पर तैनात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ एस अली ने कहा कि पैर की सर्जरी करनी पड़ेगी. लेकिन डॉक्टर ने सदर अस्पताल में सर्जरी का समय न देकर अपने हिंदपीढ़ी स्थित आवासीय क्लिनिक में आने को कहा.

डॉ एस अली ने किशोर को अपने क्लिनिक में देखने के बाद सर्जरी के लिए नामकुम स्थित विनायका हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर में भर्ती कराने को कहा. अली को वहां एडमिट कराया गया. परिजनों का आरोप है कि सर्जरी के दौरान एनेस्थेटिक डॉ रमण ने एनेस्थीसिया अधिक मात्रा में दे दिया, जिससे ऑपरेशन के बाद बच्चा होश में नहीं आ सका. बच्चे को गंभीर हालत में रविवार रात ही रिम्स रेफर कर दिया गया़ परिजन ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. नामकुम स्थित विनायका अस्पताल के सीएमओ डॉ चंदन कुमार से जब इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने जवाब नहीं दिया. देर शाम तक परिजन थाने में शिकायत करने का प्रयास कर रहे थे.

सोमवार मेरा ओटी डे है. पर वहां पहले से चार ऑपरेशन तय थे. परिजन तत्काल इलाज चाहते थे. उनके दबाव में बच्चे को निजी अस्पताल में भर्ती कराय था. एनेस्थीसिया का ओवरडोज नहीं, संभवतः रेयर एनस्थीसिया शॉक से बच्चे की तबीयत बिगड़ी.

डॉ एस अली, आॅर्थोपेडिक सर्जन सदर अस्पताल

शनिवार को ऑपरेशन होना था. एनेस्थीसिया देने के बाद बच्चे की हालत बिगड़ गयी, तो ऑपरेशन टाल दिया गया. रविवार को दोबारा ऑपरेशन थिएटर में यही प्रक्रिया दोहरायी गयी, जिसमें दवा के ओवरडोज से बच्चे की तबीयत बिगड़ती चली गयी.

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