एक्सपर्ट कमेटी की अनुशंसाः खनन भी हो, सैंक्चुअरी भी
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी अनुशंसा भेज दी है. इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि खनन कार्य भी बाधित न हो और वन्य जीवों का भी संरक्षण हो. इसके लिये सैंक्चुअरी को पश्चिम दिशा की ओर ज्यादा बढ़ाने की अनुशंसा की गयी है. वजह है कि प्रस्तावित सैंक्चुअरी के दायरे में चिड़िया माइंस समेत कई प्रमुख लौह अयस्क खदान आ रहे हैं.
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इको सेंसेटिव जोन
इस पर कमेटी ने सुझाव दिया है कि पश्चिम दिशा की ओर बढ़ाने पर वन संरक्षण भी होगा और खदानों का भी संरक्षण होगा. भविष्य के लिये लौह अयस्क समेत अन्य खनिजों की जरूरत पूरे देश को है. इसलिए सैंक्चुअरी के निर्धारित क्षेत्र को लौह अयस्क खदान वाले क्षेत्र को बचाते हुए घोषित करना श्रेयस्कर होगा. साथ ही सैंक्चुअरी के एक किमी के दायरे में ही इको सेंसेटिव जोन घोषित करने का भी आग्रह किया गया है.
क्या है मामला
बता दें कि एनजीटी ( नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने सारंडा में वन्य जीव अभयारण्य बनाने का निर्देश दिया था. लेकिन राज्य सरकार द्वारा इसका पालन नहीं किये जाने पर मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था.
29 अप्रैल को सुनवाई के दौरान दायर हलफनामे में वन विभाग ने कहा कि अब राज्य सरकार ने 31468.25 हेक्टेयर के मूल प्रस्ताव के स्थान पर 57519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्य जीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने का प्रस्ताव किया है. 13.06 किलोमीटर क्षेत्र को संरक्षण रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने का प्रस्ताव किया गया है. मामले के अनुपालन पर 23 जुलाई 2025 को सुनवाई होगी.
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