सिर्फ 18.5 सेकेंड में साड़ी पहनाने वाली साड़ी ड्रेपिंग आर्टिस्ट पहुंचीं रांची
सातवीं तक की पढ़ाई, मुंबई की कई बड़ी सेलिब्रेटी क्लाइंट लिस्ट में हैं शामिल
साड़ी को बनाया ग्लैमर का प्रतीक
बिना औपचारिक शिक्षा के डॉली ने साड़ी पहनाने की कला को प्रोफेशन में तब्दील किया और देश-विदेश में पहचान बनायी. आज 325 से अधिक तरह से साड़ी बांधने का रिकॉर्ड उनके नाम है. वे श्रीदेवी, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, सोनम कपूर, नीता अंबानी, कटरीना कैफ, सारा अली खान समेत कई बॉलीवुड और हाइ-प्रोफाइल हस्तियों के लिए साड़ी ड्रेपिंग कर चुकी हैं. डॉली के इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स हैं, जहां महिलाओं को स्टाइलिंग और ड्रेपिंग टिप्स साझा करती हैं. श्रीदेवी ने दी थी प्रेरणा
साड़ी से दूरी, फिर गहराई
शादी के बाद कोलकाता में रहने वाली डॉली ने बताया, मेरे ससुराल में केवल साड़ी पहनने की परंपरा थी. मुझे साड़ी पसंद नहीं थी. लेकिन, धीरे-धीरे इस परिधान से प्रेम हो गया. रात 11 बजे से लेकर डेढ़ बजे तक मैं खुद पर प्रैक्टिस करती थी. कैसे साड़ी पहनाएं, कैसे खुद पहनें. फिर इसे नेम, फेम और अर्निंग से जोड़ दिया. समाज ने कहा पागल हो अब वही ताकत बना
महिलाओं को दी प्रेरणा, आधा घंटा सिर्फ खुद के लिए निकालें
डॉली कहती हैं, महिलाएं सपने देखें, उन्हें पूरा करें. मगर परिवार को साथ लेकर चलें. 24 घंटे में सिर्फ आधा घंटा खुद के लिए निकालें, वही आपकी पहचान बनेगी. मैंने समाज की सोच बदली है, आप भी बदल सकती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
सातवीं तक की पढ़ाई, मुंबई की कई बड़ी सेलिब्रेटी क्लाइंट लिस्ट में हैं शामिल
साड़ी को बनाया ग्लैमर का प्रतीक
बिना औपचारिक शिक्षा के डॉली ने साड़ी पहनाने की कला को प्रोफेशन में तब्दील किया और देश-विदेश में पहचान बनायी. आज 325 से अधिक तरह से साड़ी बांधने का रिकॉर्ड उनके नाम है. वे श्रीदेवी, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, सोनम कपूर, नीता अंबानी, कटरीना कैफ, सारा अली खान समेत कई बॉलीवुड और हाइ-प्रोफाइल हस्तियों के लिए साड़ी ड्रेपिंग कर चुकी हैं. डॉली के इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स हैं, जहां महिलाओं को स्टाइलिंग और ड्रेपिंग टिप्स साझा करती हैं.श्रीदेवी ने दी थी प्रेरणा
साड़ी से दूरी, फिर गहराई
शादी के बाद कोलकाता में रहने वाली डॉली ने बताया, मेरे ससुराल में केवल साड़ी पहनने की परंपरा थी. मुझे साड़ी पसंद नहीं थी. लेकिन, धीरे-धीरे इस परिधान से प्रेम हो गया. रात 11 बजे से लेकर डेढ़ बजे तक मैं खुद पर प्रैक्टिस करती थी. कैसे साड़ी पहनाएं, कैसे खुद पहनें. फिर इसे नेम, फेम और अर्निंग से जोड़ दिया.समाज ने कहा पागल हो अब वही ताकत बना
महिलाओं को दी प्रेरणा, आधा घंटा सिर्फ खुद के लिए निकालें
डॉली कहती हैं, महिलाएं सपने देखें, उन्हें पूरा करें. मगर परिवार को साथ लेकर चलें. 24 घंटे में सिर्फ आधा घंटा खुद के लिए निकालें, वही आपकी पहचान बनेगी. मैंने समाज की सोच बदली है, आप भी बदल सकती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है