Success Story: BBA, MBA जैसी बड़ी डिग्री नहीं, फिर भी लाखों कमा रही हैं झारखंड की ये महिलाएं

Success Story: कभी घर की देहरी तक सिमटकर रह जानेवाली महिलाएं आज खुद के पैरों पर खड़ी हैं और अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही हैं. हालांकि उनके पास कोई बड़ी डिग्री नहीं है, लेकिन उनकी आमदनी लाखों में है. इलाके में आज उनकी अपनी पहचान है. लोग उन्हें लखपति दीदी के नाम से बुलाते हैं. आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी.

By Guru Swarup Mishra | April 15, 2025 2:51 PM
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Success Story: रांची, गुरुस्वरूप मिश्रा-ना बीबीए, ना एमबीए जैसी बड़ी डिग्रियां हैं. फिर भी मामूली पढ़ी-लिखी गांव की महिलाओं की आमदनी लाखों में है. उन्हें देखकर आप सहसा यकीन नहीं करेंगे कि ये आत्मनिर्भरता की उड़ान भर रही हैं. घर की देहरी तक सिमटकर रह जानेवाली ये महिलाएं खुद के पैरों पर खड़ी होकर परिवार में खुशहाली ला रही हैं. आर्थिक आजादी की राह पर तेजी से आगे बढ़कर इलाके में अपनी पहचान बना रही हैं. अब लोग उन्हें लखपति दीदी के नाम से बुलाते हैं. आइए जानते हैं कि इन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर कैसे तय किया?

कभी मजदूरी की थी मजबूरी, आज है खुद का कारोबार-रीना देवी


पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड की रहनेवाली रीना देवी पहले कमाती नहीं थीं. वर्ष 2012 में मलाई बर्फ बनाने की फैक्ट्री में मजदूरी करने लगीं. वर्ष 2017 में वह दुर्गा सखी मंडल स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ीं. यहां से लोन लेकर उन्होंने खुद का कारोबार शुरू किया. पति का सहयोग मिला. वह आइसक्रीम, बर्फ की सिल्ली और जार में पानी बेचने लगीं. इस तरह वह मजदूर से सफल उद्यमी बन गयीं. अब वह सालाना करीब छह लाख रुपए कमा लेती हैं. रीना कहती हैं कि कड़ी मेहनत के बल पर वह खुद का कारोबार चला रही हैं. सखी मंडल का साथ नहीं मिलता तो ये बदलाव संभव नहीं था.

आधुनिक खेती से जिंदगी में आ गयी बहार-शीला उरांव


लोहरदगा जिले के कुड़ू ब्लॉक के कोंकर गांव की शीला उरांव को देखकर आप उनकी कमाई का अंदाजा नहीं लगा सकेंगे. सामान्य-सी दिखनेवाली गांव की महिला ने आधुनिक खेती से अपनी जिंदगी बदल ली. कभी आर्थिक तंगी की वजह से परिवार चलाना मुश्किल था. अब इतनी शानदार कमाई हो रही है कि लोग उन्हें लखपति दीदी के नाम से पुकारते हैं. 2016 में वह जय मां सरना महिला मंडल समूह की सदस्य बनीं. इसके बाद आधुनिक खेती की ट्रेनिंग ली. समूह से 15,000 रुपए का लोन लिया. फिर 10,000, 40,000 और 23,000 का लोन लिया और खेती में लगाया. उन्हें सबसे बड़ी सफलता बैंगन की खेती से मिली. एक सीजन में 1.5 लाख का मुनाफा कमाया. पॉली नर्सरी भी शुरू की, जहां वह बिचड़े से पौध तैयार करती हैं. आजीविका कृषि सखी बनकर दूसरे किसानों को खेतीबाड़ी सिखा भी रही हैं. आज शीला की सालाना आमदनी 2 लाख से अधिक है.

तसर की खेती से जीवन में आयी खुशहाली-बिलासी सोय मुर्मू


खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड के रुमुतकेल गांव की बिलासी सोय मुर्मू की हालत पहले अच्छी नहीं थी. वर्ष 2018 में वह रोशनी महिला मंडल से जुड़ीं. ट्रेनिंग के बाद उन्होंने 20,000 रुपए का लोन लेकर रेशम की खेती करनी शुरू कर दी. इससे उन्हें अच्छे मुनाफे मिले. उन्होंने फिर 20,000 रुपए का लोन लिया और अपने काम को आगे बढ़ाया. आज वह सालाना 3 लाख रुपए तक कमा ले रही हैं. बिलासी सोय मुर्मू कहती हैं कि रेशम की खेती ने उनकी जिंदगी बदल दी. आज वह अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और अच्छा जीवन दे पा रही हैं. सखी मंडल का साथ नहीं मिलता तो वह शायद यह मुकाम हासिल नहीं कर पातीं.

ब्यूटी पार्लर और सिलाई मशीन से बदली जिंदगी-प्रीति देवी


प्रीति देवी शादी के बाद घर की देहरी के अंदर सिमट कर रह गयी थीं. महिला समूह से जुड़कर उनकी जिंदगी बदल गयी. लोहरदगा जिले के सेन्हा ब्लॉक के सेन्हा गांव की रहनेवाली प्रीति देवी शादी के बाद कई वर्षों तक घर की चहारदीवारी में ही सिमटी रहीं. घर का कामकाज संभालती रहीं, लेकिन 2015 में जब वह वाणी महिला मंडल से जुड़ीं, तब उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया. उन्होंने समूह से 40 हजार का कर्ज लिया और एक ब्यूटी पार्लर खोला. पार्लर से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी. इसके बाद उन्होंने एक सिलाई मशीन भी खरीद ली और कपड़े सिलने का काम शुरू कर दिया. इस तरह सालभर में उनकी कुल कमाई डेढ़ लाख रुपए से अधिक तक पहुंच गयी. प्रीति देवी कहती हैं कि जेएसएलपीएस और वाणी महिला मंडल की मदद से आज वह बेहतर जीवन जी रही हैं. लोग उन्हें लखपति दीदी के नाम से जानते हैं.

गांव की महिलाओं की ऐसे बढ़ रही आमदनी


झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए लखपति दीदी योजना शुरू की गयी है. इसके तहत महिलाओं की सालाना आय एक लाख रुपए तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी) द्वारा महिलाओं को कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, हस्तशिल्प, व्यवसाय और कौशल विकास जैसे आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा जा रहा है और आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.

सभी 24 जिलों में चल रही है महिलाओं के लिए योजना


झारखंड के सभी 24 जिलों के 264 प्रखंडों में लखपति दीदी योजना चल रही है. यहां 8.44 लाख महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य है. अब तक झारखंड में करीब साढ़े पांच लाख महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं. सखी मंडलों से जुड़ी महिलाओं को चक्रीय निधि (रिवॉल्विंग फंड), सामुदायिक निवेश निधि, बैंकिंग सुविधाएं और ब्याज पर छूट जैसे लाभ दिए जा रहे हैं.

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