
रांची. किसी काम के प्रति जुनून हो, तो व्यक्ति कुछ भी हासिल कर सकता है. ऐसी आशा सदैव ही आमदनी की विविध आयाम खोलती है. महिलौंग के किसान भदया महतो एक दिन में डेढ़ लाख रुपये से अधिक का तरबूज बेचकर आज टाटीसिलवे में प्रगतिशील किसान के रूप में मिसाल बन गये हैं. उन्होंने 30 मजदूरों से दो ट्रक पर 20 टन यानी 20 हजार किलो तरबूज एक दिन में कोलकाता भेजा है. यह किसानों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
भदया महतो का सामान्य ग्रामीण से सफल किसान तक की यात्रा कृषि समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है. औपचारिक स्कूली शिक्षा पूरी नहीं करने के बावजूद खेती का जुनून हमेशा रहा. अपने 40 साल के खेती के कैरियर में उन्होंने पहली बार तरबूज की खेती की. इस प्रयास के लिए अपनी सात एकड़ की पट्टे की जमीन में तीन एकड़ जमीन पर उषा मार्टिन फाउंडेशन के सहयोग से तरबूज लगाया. परिणाम आश्चर्यजनक रहा. अभी पहली फसल ही निकली और वह लखपति बन गये. यह उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि पूरी खेती पट्टे की भूमि पर की गयी थी, जो भदया महतो के दृढ़ संकल्प और संसाधनों के प्रभावी उपयोग को रेखांकित करता है.भदया की सफलता केवल तरबूज में ही नहीं, बल्कि कृषि से जुड़ी विविध गतिविधियों में भी परिलक्षित हुई है. उन्होंने 50 डिसमिल भूमि पर तीन क्विटंल से अधिक स्ट्रॉबेरी की खेती की, जिससे एक लाख से अधिक की आमदनी हुई. हर एक सप्ताह चार हजार का स्ट्रॉबेरी बेचा. इसके अतिरिक्त ग्राफ्टेड टमाटर के पौधे लगाये. जिसके परिणामस्वरूप 100 क्विंटल की उपज हुई. उनके खेत ने पांच क्विंटल प्याज और 50 क्विंटल धान का उत्पादन किया, जो विविध और टिकाऊ खेती की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
उषा मार्टिन फाउंडेशन के व्यापक सहयोग से भदया महतो ने अपनी कृषि प्रथाओं को बदल दिया. नयी कृषि में उच्च गुणवत्ता वाले बीज, ग्राफ्टेड पौधे, ड्रिप सिंचाई प्रणाली, कृषि प्रशिक्षण और पॉली नेट संरचनाओं को शामिल किया. प्रतिकूल मौसम, कीट संक्रमण और बाजार में उतार-चढ़ाव जैसी चुनौतियों के बावजूद कृषि सोच के प्रति लचीलापन उनकी सफलता का कारण बना. इस सफलता से उत्साहित वह अब स्वयं के ग्राफ्टेड पौधों और लगातार स्रोतों के बीज का उत्पादन कर रहे हैं. यह उनके खेती के प्रति समर्पण अौर सशक्तीकरण को व्यक्त करता है.कार्बनिक खाद, हाइब्रिड बीज उत्पादन में लाभदायी
कृषि बिजनेस समन्वयक मेवालाल महता ने बताया कि तरबूज की खेती में उर्वरक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इस बार 23 किसानों को तरबूज की खेती के लिए प्रेरित किया गया. सभी किसानों की फसल बहुत अच्छी हुई है. फसल की उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों के साथ वर्मी कंपोस्ट और गाय के गोबर जैसे कार्बनिक खाद का उपयोग उत्पादन के लिए लाभदायी है. इसके साथ हाइब्रिड बीज, झारखंड की जलवायु का लचीलापन बेहतर फसल के उत्पादन में सहयोग किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है