बाघों की घर वापसी की तैयारी : पलामू टाइगर रिजर्व में कभी बाघों की भरमार रही है, अनुकूल परिस्थितियां बनी तो दिखेंगे बाघ ही बाघ
(तसवीर-28 लेट-5 पलामू टाइगर रिजर्व का बाघ)
बेतला. पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) का इतिहास बाघों की मौजूदगी के लिए जाना जाता है. कभी यहां के कोर और बफर क्षेत्रों में बाघों की लगातार मौजूदगी देखी जाती थी. लेकिन, मानव हस्तक्षेप, नक्सली गतिविधियों और अन्य अड़चनों के कारण बाघ इस इलाके से दूर हो गये. विशेषज्ञों का मानना है कि बाघ पलायन कर गये हैं, खत्म नहीं हुए. हाल ही में पलामू टाइगर रिजर्व का बाघ भटक कर रांची के सिल्ली तक चला गया था़ रेस्क्यू कर पुन: पलामू टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया. अब वह पूरी तरह अनुकूल परिस्थियों में विचरण कर रहा है़ विभागीय पदाधिकारी इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
अतिथि की तरह आते हैं और चले जाते हैं : हाल ही में पीटीआर का एक बाघ भटककर रांची के सिल्ली क्षेत्र तक चला गया था. लेकिन वहां से लौटने के बाद वह पुनः पलामू के जंगलों में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहा है. वन अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में प्रतिवर्ष छह से सात बाघ रिजर्व के बाहर से आते हैं, पर ठहरने के लिए अनुकूल माहौल न मिलने के कारण वापस लौट जाते हैं.
बाघों की संख्या बढ़ जायेगी
कुमार आशीष, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर
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