दिव्यता का स्पर्श है देवघर का बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
::: बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने लिखी पहली पुस्तक, जल्द होगा लोकार्पण
::: छह चैप्टर में 300 पृष्ठों की यह पुस्तक ऐतिहासिक, सांस्कृति, धार्मिक और वैधानिक पहलुओं को समेटे हुए है.
:::: बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर पहली विधिवत शोधपरक पुस्तक
बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ऊर्जा का एक शक्तिशाली स्रोत
शिव लिंग ऊर्जा और चेतना के अनंत रूप का प्रतिनिधित्व करता है और वह केंद्रीय आकृति है, जिसके चारों ओर देवघर में सब कुछ घूमता है, जहां बाबा बैद्यनाथ का ज्योतिर्लिंग विद्यमान है. देवघर शहर में प्रवेश करते ही कोई व्यक्ति ऊर्जा और उसके कंपन को महसूस कर सकता है.””””शिव पुराण”””” में इसे बैद्यनाथ चिता-भूमौ के रूप में वर्णित किया गया है, अर्थात बैद्यनाथ भगवान शिव के श्मशान में स्थित है. देवघर के मंदिर में केवल एक यात्रा ही किसी को यह विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त है कि बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ऊर्जा का एक शक्तिशाली स्रोत हैं. देवघर न केवल देवताओं का घर है, बल्कि इसे हरदपीठ, रावणवन, केतकी-वन, हरीतिकी-वन और बैद्यनाथ के रूप में भी जाना जाता है. जब कोई भगवान शिव बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह में प्रवेश करता है, तो उसका उद्देश्य वहां निवास करनेवाले भगवान की खोज करना नहीं होता, बल्कि कंपन और ऊर्जा को महसूस करना होता है, अपने भीतर की चेतना और ऊर्जा को ऊपर उठाना होता है और उसे ब्रह्मांड की ब्रह्मांडीय चेतना और ऊर्जा के साथ जोड़ना होता है. शिव और शक्ति की एक साथ पूजा
…और क्या है पुस्तक में खास
अथर्ववेद, शिवपुराण, मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण सहित कई ग्रंथों में बाबा बैद्यनाथ का उल्लेखपुस्तक के दूसरे चैप्टर में देवघर के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी है. 1983 में जिला बनने से लेकर उसकी पाैराणिकता का भी वर्णन किया गया है, जबकि तीसरे चैप्टर में पैराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख है. कहा गया है कि 1860 के जेडी बेगलर की रिपोर्ट में बाबा बैद्यनाथ का वर्णन है. 1901 के ब्रेडली, 1838 में मांडगो मेरिन मार्टिन, सर विलियम विलसन हंटर 1868 में बाबा बैद्यनाथ पर रिपोर्ट की थी. मत्स्य पुराण, शिव पुराण, स्कंद पुराण में बाबा बैद्यनाथ का वर्णन मिलता है. बाबा बैद्यनाथ का ज्योतिर्लिंग देवघर में है. शिव पुराण में कहा गया है ज्योतिर्लिंग चिता भूमि (देवघर) में है. यहां सती का हृदय गिरा था. इसलिए इसे हृदयपीठ भी कहते हैं. पूर्वोतरे प्रज्वलिका निधाने सदा वसंत गिरजा समेतम. अंतिम चैप्टर में बाबा की पूजा पद्धति की रोचक जानकारी का वर्णन
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
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बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ऊर्जा का एक शक्तिशाली स्रोत
शिव लिंग ऊर्जा और चेतना के अनंत रूप का प्रतिनिधित्व करता है और वह केंद्रीय आकृति है, जिसके चारों ओर देवघर में सब कुछ घूमता है, जहां बाबा बैद्यनाथ का ज्योतिर्लिंग विद्यमान है. देवघर शहर में प्रवेश करते ही कोई व्यक्ति ऊर्जा और उसके कंपन को महसूस कर सकता है.””””शिव पुराण”””” में इसे बैद्यनाथ चिता-भूमौ के रूप में वर्णित किया गया है, अर्थात बैद्यनाथ भगवान शिव के श्मशान में स्थित है. देवघर के मंदिर में केवल एक यात्रा ही किसी को यह विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त है कि बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ऊर्जा का एक शक्तिशाली स्रोत हैं. देवघर न केवल देवताओं का घर है, बल्कि इसे हरदपीठ, रावणवन, केतकी-वन, हरीतिकी-वन और बैद्यनाथ के रूप में भी जाना जाता है. जब कोई भगवान शिव बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह में प्रवेश करता है, तो उसका उद्देश्य वहां निवास करनेवाले भगवान की खोज करना नहीं होता, बल्कि कंपन और ऊर्जा को महसूस करना होता है, अपने भीतर की चेतना और ऊर्जा को ऊपर उठाना होता है और उसे ब्रह्मांड की ब्रह्मांडीय चेतना और ऊर्जा के साथ जोड़ना होता है.शिव और शक्ति की एक साथ पूजा
…और क्या है पुस्तक में खास
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