रांची (पूजा सिंह). राजधानी की युवतियों ने इस घटना को निंदनीय बताया है. उनका मानना है कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लेकिन, एक बेटी की मनोदशा क्यों इतनी क्रूर हुई, इसे अभिभावकों को समझना चाहिए. कई बार अरेंज मैरिज सामाजिक और पारिवारिक दबाव में किये जाते हैं. बेटियों से उनकी इच्छा नहीं पूछी जाती है. ऐसे में उन बेटियों की मनोदशा को समझना होगा, बेटोें के साथ बेटियों को भी निर्णय लेने का अधिकार है.
निधि यादव, हटिया
अंजली कुमारी, धुर्वा
पायल उरांव, बेड़ो
एंजेल कुंडलना, चुटिया
रिया छाबड़ा, रांची
प्रीति मेहरा, बहू बाजार
एक औरत, जिसे समाज ममता, सहनशीलता और प्रेम का प्रतीक मानता है, उसके अंदर ऐसी क्रूर प्रवृत्ति आयी कैसे? समाज को यह समझना होगा कि हर घटना के पीछे कोई न कोई कारण, दबाव, या परिस्थिति जरूर होती है. जरूरत है कि हम अपनी बेटियों को, बहनों को और समाज की हर औरत को समझें.
कृति कशिश, रांची
प्रियंका खाखा, रांची
सोनम ने जो किया, वह निश्चित ही गलत है. लेकिन, हमें यह समझना होगा कि कोई औरत अचानक हैवान नहीं बनती. उसके पीछे दर्द, घुटन और कई बार वर्षों की उपेक्षा छिपी होती है. समाज सिर्फ उसके अपराध को देख रहा है, लेकिन उस तक पहुंचने वाले कारणों को नजरअंदाज कर रहा है.
दिव्या कुमारी, हिनू
तनाव और अकेलापन बड़ी वजह
महिलाएं अब लंबे समय से दबे हुए गुस्से, तनाव, घरेलू हिंसा और सामाजिक असमानता का सामना कर रही हैं. जब ये भावनाएं लंबे समय तक दबी रहती हैं और समाधान नहीं मिलता, तो कभी-कभी ये हिंसक रूप में सामने आती हैं. मानसिक स्वास्थ्य का अभाव, तनाव और अकेलापन भी बड़ी वजह है. महिलाएं आज आत्मनिर्भर हो रही हैं, लेकिन समाज अब भी उन्हें सीमित भूमिका में देखना चाहता है.
डॉ मो सादिक, मनोवैज्ञानिक, सीआइपी
खुलकर बात करना जरूरीमहिलाओं और पुरुषों दोनों हिंसा का शिकार हो रहे हैं. पहले ये मामले कम थे अब ज्यादा होते जा रहे हैं. ज्यादातर समाज में रहने वाले असामाजिक तत्व इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं. डिजिटल एप्लिकेशन, सोशल मीडिया असामाजिक तत्वों को पनपने का पूरा मौका देता है. शायद इसी वजह से महिला अपराध की प्रगति बढ़ रही है. चीजों के रोकने के लिए चीजों के बारे में चिंता होनी चाहिए. यदि कोई महिला किसी तरह का तनाव, गुस्सा या अपनी भावनाओं में कोई भी बदलाव महसूस करती हैं तो मदद जरूर लें.
डॉ भूमिका सच्चर, मनोवैज्ञानिकB
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