आज की युवा पीढ़ी पढ़ाई, करियर, नौकरी, पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक प्रतिस्पर्धा के बीच लगातार मानसिक दबाव में जी रही है. इन चुनौतियों ने युवाओं को इतनी नकारात्मकता से घेर लिया है कि वे तनाव और अवसाद के शिकार हो रहे हैं. इसका सीधा असर उनके मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. ऐसे में महर्षि पतंजलि के योग सूत्र का श्लोक- ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः’ अत्यंत प्रासंगिक प्रतीत होता है. अर्थात् मन की चंचल वृत्तियों का नियंत्रण ही योग है. सरल भाषा में कहें तो व्यक्ति के लिए अपने मन की नकारात्मकता पर काबू पाना ही योग है. यानी योग ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे मानव अपने मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य को बनाये रख सकता है. योग आसन, मुद्राओं और बंद का समावेश है. प्रस्तुत है पूजा कुमारी की रिपोर्ट…रांची. योग प्रशिक्षिका सह शोधार्थी अनिता कुमारी बताती हैं कि आज के युवा तेजी से सफलता पाना चाहते हैं, लेकिन असफलता या थोड़ी सी मुश्किल आने पर वह तुरंत हताश हो जाते हैं. नकारात्मकता उनपर इतनी हावी हो जाती है कि तत्काल स्ट्रेस (तनाव) के मरीज हो जाते है. यही तनाव उन्हें अस्पताल तक पहुंचा देता है. ऐसे में महर्षि पतंजलि के योग सूत्र को अपने जीवन में उतार लेना है. योग ही एकमात्र साधन है, जो उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाये रख सकता है. रोजाना सिर्फ 30 मिनट योग अभ्यास कर जीवन में संतुलन कायम किया जा सकता है. चिकित्सक भी अब दवाओं के साथ योग की सलाह देने लगे हैं.
मानसिक अस्पतालों में बढ़ रहे अवसादग्रस्त युवा
अवसाद के ये बन रहे हैं कारण : युवाओं में अवसाद के कई कारण हैं. खास कर पढ़ाई में गिरावट, आत्महत्या की प्रवृत्ति, सामाजिक अलगाव, नशे की लत, करियर का त्याग, शिक्षा में भी स्पर्द्धा, बेहतर नौकरी की तलाश, नौकरी में काम का तनाव, कार्यस्थल की प्रतिस्पर्धा, आर्थिक तंगी, लाइफ स्टाइल, परिवार में कलह, रिश्ते-भाई, बहन, माता-पिता, पत्नी, गर्लफ्रेंड आदि को लेकर तनावग्रस्त हैं. इसके साथ ही आधुनिक जीवनशैली, सोशल मीडिया की तुलना, रिश्तों में उलझन मानसिक संतुलन को और बिगाड़ रहे हैं.
अवसाद का कारगर उपचार योग
योग न केवल शरीर बल्कि मन को भी स्वस्थ रखता है. योग और आयुर्वेद दोनों ही मानसिक रोगों की रोकथाम में योग को प्रभावी मानते हैं. योग के नियमित अभ्यास से नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण होता है और आत्मबल मजबूत होता है. विशेषज्ञों के अनुसार, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, कपालभाति, शवासन, बालासन और योगनिद्रा जैसे योगाभ्यास अवसाद को दूर कर मानसिक शांति प्रदान करते हैं.
चुप्पी तोड़ें, विशेषज्ञ से संपर्क करें
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक उदासी, आत्मविश्वास की कमी, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और निरर्थकता की भावना से जूझ रहा हो तो परिजनों को तुरंत चुप्पी तोड़नी चाहिए. चिकित्सक के साथ-साथ योग प्रशिक्षक से संपर्क करना चाहिए. चिकित्सक और योग प्रशिक्षक की मदद से समय रहते उपचार संभव है.
ये योगासन देंगे अवसाद में राहत
भ्रामरी प्राणायाम :
भ्रामरी में “म्म्म्” ध्वनि करने से वाग्जाल सक्रिय होता है, जिससे पैरासिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम उत्तेजित होता है और तनाव और चिंता कम होती है. यह प्राणायाम हृदय गति को स्थिर करता है. बीटा वेव्स को कम करके अल्फा ब्रेन वेव्स बढ़ाता है. इससे गहरी मानसिक शांति मिलती है. यह ऑटोनोमिक बैलेंस को सुधारता है.
अनुलोम-विलोम :
कपालभाति :
शरीर को डीटॉक्स करता है, ऊर्जा बढ़ाता है और पाचन सुधारता है. कपालभाति में बलपूर्वक श्वास निष्कासन से कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन तेजी से होता है. इससे खून की सफाई होती है. यह प्राणायाम सिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करता है, जिससे थकावट कम होती है और ऊर्जा बढ़ती है. यह एब्डोमिनल ऑर्गेन पर प्रभाव डालता है, जिससे पाचन और चयापचय में सुधार होता है, जिससे मन को तेजी से शांति मिलती है और सौंदर्य में इजाफा होता है.
शवासन :
बालासन :
थकान दूर करता है, रीढ़ और मांसपेशियों को आराम देता है, पाचन बेहतर करता है. बालासन को ‘चाइल्ड पोज’ कहा जाता है. यह एक आरामदायक योग मुद्रा है, जिसमें शरीर घुटनों के बल बैठकर आगे की ओर झुका रहता है और सिर जमीन पर टिका होता है. यह रीढ़, कंधे और गर्दन को आराम देता है. बालासन से तनाव कम होता है, मन शांत होता है और पाचन क्रिया में सुधार होता है. यह मुद्रा विशेष रूप से थकावट दूर करने और नींद को बेहतर बनाने में सहायक है.
योगनिद्रा :
योग ने करियर संवारा
केस स्टडी : दो
योग से आत्मविश्वास लौटा
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