आदिवासी एकजुट हैं
बंधु तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अधीन के संगठनों द्वारा आदिवासियों को बांटने के लिये जमीन-आसमान एक कर दिया गया है लेकिन उन्हें उनकी चाल में कोई भी सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि आदिवासी बिना किसी मतभेद के एकजुट हैं और उन्हें दुनिया की कोई शक्ति अलग नहीं कर सकती. भाजपा एवं केन्द्र के साथ ही जिन-जिन प्रदेशों में भाजपा सत्ता में है वहां आदिवासियों की लगातार अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में गुमला में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने सरना धर्मकोड पर विचार करने की बात कही थी लेकिन उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ.
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महाराष्ट्र व गुजरात के आदिवासी नेता होंगे शामिल
बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड से पलायन कर असम की चाय बागानों में मजदूरी कर रहे आदिवासियों को वहां एमओबीसी अर्थात विस्थापित अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है जबकि असम में भी चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के सभी नेताओं ने आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बात कही थी लेकिन अपने वायदे से मुकरना भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की आदत है. इस महारैली में झारखंड के सभी जिलों के सभी समुदायों के आदिवासियों के साथ ही आदिवासी मुद्दों के प्रति संवेदनशील रवैया रखनेवाले और वास्तव में आदिवासियों की समस्याओं को समझने वाले सभी जागरूक लोगों की सहभागिता होगी, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण महाराष्ट्र के साथ ही पूरे देश के आदिवासियों के लिये निरंतर संघर्ष करनेवाले सुप्रसिद्ध आदिवासी नेता और आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे का शामिल होना है. इसके साथ ही गुजरात के आदिवासी नेता नारायण राठवा भी शामिल होंगे. मौके पर अजय तिर्की, शिवा कच्छप, प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की मौजूद थे.
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