Triple Test: ‘ट्रिपल टेस्ट में भारी गड़बड़ी’ आजसू पार्टी का गंभीर आरोप, हेमंत सोरेन सरकार से की ये मांग

Triple Test Jharkhand: आजसू नेता सह झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर और युवा नेता संजय मेहता ने झारखंड नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए हो रहे ट्रिपल टेस्ट को लेकर झामुमो और कांग्रेस पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि डोर टू डोर सर्वे नहीं किया गया है. इसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता का अभाव दिख रहा है. राज्य सरकार बंद कमरे में रिपोर्ट तैयार करवा रही है ताकि पिछड़ों का हक मारा जा सके.

By Guru Swarup Mishra | July 20, 2025 5:53 PM
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Triple Test Jharkhand: रांची-आजसू पार्टी ने झारखंड में नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण देने के लिए आवश्यक ट्रिपल टेस्ट में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया है. पार्टी का कहना है कि राज्य सरकार के ट्रिपल टेस्ट में पारदर्शिता नहीं दिखती है. पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में वरिष्ठ नेता एवं झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर और युवा नेता संजय मेहता ने कहा कि झामुमो और कांग्रेस द्वारा ओबीसी आरक्षण में साजिश रची जा रही है. प्रेस वार्ता में मीडिया संयोजक परवाज खान और युवा आजसू संयोजक बबलू महतो भी उपस्थित थे.

सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल-प्रवीण प्रभाकर


आजसू नेता प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट के संबंध में लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि डोर टू डोर सर्वे नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से पहले राज्य सरकार इस टेस्ट की प्रक्रिया की पूरी जानकारी जनता को उपलब्ध करवाए क्योंकि इसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता का अभाव दिख रहा है. उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य है, जिसमें डोर-टू-डोर सर्वे के माध्यम से पिछड़े वर्ग की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का आकलन किया जाना है. विभिन्न नगर निकाय क्षेत्रों से यह जानकारी सामने आ रही है कि धरातल पर सर्वे हुआ ही नहीं है और राज्य सरकार बंद कमरे में रिपोर्ट तैयार करवा रही है ताकि पिछड़ों का हक मारा जा सके.

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राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद चार महीने से है खाली-संजय मेहता


युवा नेता संजय मेहता ने कहा कि सरकार बताए कि ट्रिपल टेस्ट में संग्रह किए गए डाटा को सरकार कैसे सत्यापित करेगी? संस्थाओं का चयन किस आधार पर किया गया है और कैसे किया गया है? ट्रिपल टेस्ट का सैंपल कैसे संग्रह किया जा रहा है और कौन कर रहा है? राज्य सरकार के ट्रिपल टेस्ट में पारदर्शिता नहीं दिखती है. पहले तो राज्य सरकार पिछड़ों को आरक्षण दिए बिना ही नगर निकाय चुनाव करवाना चाहती थी, लेकिन जब आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर आ गए तो ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया शुरू की गयी. आजसू के दबाव में एक वर्ष से खाली पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति की गयी. अभी भी 4 माह से राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद नहीं भरा जा रहा है. क्या राज्य सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बिना कोई काम नहीं करेगी?

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