आइएएस प्रोन्नति मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा संघ को नहीं मिली राहत

प्रोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगाने से कैट का इनकार, हाइकोर्ट से भी राहत नहीं

By Prabhat Khabar News Desk | November 10, 2024 12:41 AM
an image

राणा प्रताप, रांचीआइएएस कैडर प्रोन्नति मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा संघ (एससीएस) को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) से अंतरिम राहत नहीं मिल पायी है. कैट ने गैर प्रशासनिक सेवा (नन एससीएस) के योग्य अधिकारियों की आइएएस कैडर में प्रोन्नति से नियुक्ति की प्रक्रिया पर रोक लगाने तथा मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. कैट के आदेश को झारखंड हाइकोर्ट में चुनाैती दी गयी, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिल पायी. हाइकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस सुभाष चंद की खंडपीठ ने झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ (झासा) व अन्य की याचिका पर सुनवाई के दाैरान सभी का पक्ष सुनने के बाद याचिका को निष्पादित कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल द्वारा सुनवाई के लिए पहले से ही 18 दिसंबर की तिथि तय है. उम्मीद है उस दिन ट्रिब्यूनल की ओर से सुनवाई पूरी करने की कोशिश की जायेगी. खंडपीठ ने कहा कि अगर प्रार्थी के अधिवक्ता कोई जवाब दाखिल करना चाहते हैं, तो एक सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाये, ताकि मामले को कैट द्वारा 18 दिसंबर को उसके गुण-दोष के आधार पर सुनवाई की जा सके. इससे पहले प्रतिवादी केंद्र सरकार, राज्य सरकार व हस्तक्षेपकर्ता की ओर से एक दिसंबर तक अपना-अपना हलफनामा दायर करने का वचन दिया गया. प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पैरवी की थी, जबकि प्रतिवादी राजेश प्रसाद, आनंद व कंचन सिंह की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पक्ष रखा. केंद्र सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार व राज्य सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद व अधिवक्ता शाहबाज अख्तर ने रखा. प्रार्थी झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ (झासा) व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर कर कैट के 10 सितंबर के आदेश को चुनाैती दी गयी थी.

क्या है मामला

कर्मी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही में नियमों का पालन होना चाहिए : हाइकोर्ट

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सेवा से बर्खास्त करने व अपीलीय आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया. अदालत ने प्रार्थी के पक्ष में फैसला देते हुए 21 फरवरी 2019 की जांच रिपोर्ट, छह दिसंबर 2019 का दंड आदेश तथा 22 नवंबर 2021 के अपीलीय आदेशों को निरस्त कर दिया. अदालत ने कहा कि विभागीय कार्यवाही में नियमों का पालन होना चाहिए. आरोपों को साबित करने के लिए सबूत साबित होने चाहिए. अदालत ने कहा कि प्रार्थी पेंशन लाभ प्राप्त करने का हकदार है. इसलिए अदालत ने राज्य सरकार को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से छह सप्ताह के भीतर प्रार्थी को ब्याज के साथ संपूर्ण पेंशन लाभ प्रदान करने का आदेश दिया. हालांकि अदालत ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि प्रार्थी सेवा समाप्ति की तिथि से सेवानिवृत्ति की तिथि तक बकाया वेतन पाने का हकदार नहीं है, लेकिन उक्त अवधि की गणना पेंशन लाभ के उद्देश्य से की जायेगी. अदालत ने उक्त आदेश देते हुए प्रार्थी जगदीश पासवान की दोनों याचिकाओं को स्वीकार कर लिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने बताया कि विभागीय कार्यवाही की शुरुआत ही कानून की नजर में गलत थी, क्योंकि यह सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण व अपील) नियम-1930 के नियम 49 व 55 के तहत की गयी थी, जो झारखंड सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण व अपील) नियम-2016 के अस्तित्व में आने से निरस्त हो गयी थी. जांच अधिकारी ने आरोप का समर्थन करने के लिए एक भी गवाह की जांच किये बिना ही प्रार्थी के खिलाफ आरोपों को प्रस्तुत किया. केवल दस्तावेज प्रस्तुत करना प्रार्थी के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है, जब तक की उसकी सामग्री किसी गवाह द्वारा साबित न हो जाये. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी जगदीश की ओर से याचिका दायर की गयी थी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Latest Ranchi News in Hindi : रांची के स्थानीय समाचार, इवेंट, राजनीति, एजुकेशन, मौसम, बिजनेस, रेलवे, प्रशासनिक खबरों की ताजा अपडेट के लिए प्रभात खबर से जुड़े रहें। यहां निष्पक्ष समाचार, लाइव रिपोर्टिंग, ग्राउंड रिपोर्ट, फैक्ट चेक के साथ खबरों की विश्वनीयता सुनिश्चित की जाती है। यहां पर प्रभात खबर के 100 से अधिक रिपोर्टर्स, संवाद सूत्र, एक्सपर्ट्स और विषय विशेषज्ञ की खोजपरक रिपोर्टिंग, लेख, फीचर, टिप्पणी भी आपको रियल टाइम में और मुफ़्त मिलती है।
रांची की चुनी हुई और महत्वपूर्ण खबरें भी पढ़ें । रांची मौसम: आज का सटीक और विस्तृत मौसम पूर्वानुमान ( मौसम ) यहां देखें।

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version