रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने एक अपील याचिका पर सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए ससुर सुरेंद्र दास और देवर उत्तम कुमार दास की अपील याचिका खारिज करते हुए कहा कि विधवा बहू और उसके नाबालिग बच्चे अपने ससुर और देवर से भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं. शर्त यह है कि वह खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ हों और ससुरालवालों के पास पैतृक संपत्ति हो. खंडपीठ ने उक्त आदेश देते हुए जामताड़ा फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और अपील को खारिज कर दिया. कहा कि फैमिली कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है. खंडपीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट ने सभी दस्तावेज और दोनों पक्षकारों के गवाहों की गवाही को देखा है. अपीलकर्ताओं और प्रतिवादियों के बीच कृषि भूमि का बंटवारा नहीं हुआ है. साथ ही कृषि भूमि में विधवा के पति का हिस्सा भी अपीलकर्ताओं के कब्जे में है, लेकिन वे भरण-पोषण नहीं दे रहे हैं. वैसी स्थिति में हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम-1956 की धारा-19 और 22 के आधार पर विधवा बहू प्रतिवादियों से भरण-पोषण पाने के हकदार हैं. पांच मई को सुनवाई पूरी होने पर खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उल्लेखनीय है कि सुरेंद्र दास (ससुर) और उत्तम कुमार दास (देवर) ने जामताड़ा फैमिली कोर्ट के 11 सितंबर 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए अपील याचिका दायर की थी. फैमिली कोर्ट ने विधवा बहू को 3000 रुपये और उसके दो नाबालिग बच्चों को 1000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण देने का आदेश ससुर और देवर को दिया था, जिसे उन्होंने चुनौती दी थी.
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