विश्व दिव्यांगता दिवस: रांची के करमटोली के पीड़ी कोचा में किराये के मकान में रहकर पांच सदस्यों का परिवार अपना जीवन गुजार रहा है. परिवार में घर के चार सदस्य पिता, दो बेटी और एक बेटा दिव्यांग हैं. चारों मूक बधिर हैं. न बोल सकते हैं और न सुन सकते हैं. बच्चों की मां यानी कि मालती देवी ही बाल और सुन सकती हैं. ऐसे में पूरा परिवार इशारों में बात करता है. मालती ने अपने पति समेत तीनों बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. दूसरे के घरों में काम कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. लगन के सीजन में भी रातभर जग कर शादी पार्टी में काम करती हैं. दोनों बेटियों किरण और श्वेता को पढ़ा रही हैं. वहीं, बेटे को पढ़ा-लिखा कर काबिल बना दिया है. मालती के तीनों दिव्यांग बच्चे पढ़ने में अच्छे हैं. अच्छा नृत्य भी कर लेते हैं. अंग्रेजी भी लिख समझ लेते हैं. पति राधे श्याम तूरी बेरोजगार हैं, लेकिन दिव्यांग जनों का यह परिवार विपरीत परिस्थितियों में भी अपने जीने की हिम्मत को कायम रखे हुए है.
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