बरहरवा. ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है जिसके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है’ इस कहावत को चरितार्थ कर रही हैं, बरहरवा प्रखंड मुख्यालय से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र बरारी गांव की सीता साहा. वैसे तो वह एक सामान्य गृहणी हैं, लेकिन उद्यमी बनने की कहानी काफी प्रेरणादायक है. सीता बताती हैं कि उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उनके पति बंगाल में मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पालन पोषण किया करते थे. एक दिन उन्होंने अपनी किस्मत बदलने की ठानी, जिसके बाद ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) साहिबगंज से लाह कृत्रिम शिल्प का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूह ‘लाह हस्तशिल्प केंद्र’ की स्थापना की. जेएसएलपीएस ने जीवन में लाया बदलाव अपने गांव में लाह हस्तशिल्प केंद्र की स्थापना के बाद सीता ने गांव की कई महिलाओं को अपने साथ जोड़ कर लाह की चूड़ी, हार, कंगन, सिंदूर बॉक्स, डेकोरेटेड घड़ा, गिफ्ट बॉक्स, ज्वेलरी बॉक्स आदि का निर्माण शुरू किया. जिसके बाद उनके समूह को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हो गया. जेएसएलपीएस के तहत उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना अंतर्गत एक लाख रुपये का ऋण मिला. फिर, सीता और उनसे जुड़ी महिलाओं ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज इस महिला समूह का वार्षिक कारोबार एक लाख रुपये से ज्यादा हो चुका है. सीता के साथ समूह की आठ दीदियां लाह से उत्पादित श्रृंगार की सामग्रियों को स्थानीय बाजार, मेला, शादी विवाह आदि में बिक्री करती हैं. इससे उनकी मासिक आमदनी करीब 10 हजार रुपये है. अब मास्टर ट्रेनर बन दे रही हैं सेवा वर्तमान में सीता साहा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) की प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर भी बन गयी है, जो न केवल अपने क्षेत्र में बल्कि अन्य जिलों की महिलाओं को भी लाह से जुड़े विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दे रही है. उन्होंने कहा कि मुझे अपने काम से प्यार है. मैंने पहले सब कुछ स्वयं से आजमाया और अनुभव किया. फिर, दूसरों को सलाह देना शुरू किया. अब मेरा परिवार आर्थिक रूप से ठीक हो रहा है, तथा मैं अपने परिवार और ग्रामीण महिलाओं के परिवार के बेहतरी के लिए अपना योगदान कर रही हूं. कहते हैं अधिकारी जेएसएलपीएस के बीपीएम फैज आलम एवं उद्योग विभाग के प्रखंड उद्यमी समन्वयक उदय कुमार राम ने बताया कि सीता साहा एवं समूह की दीदियों द्वारा निर्मित सामग्रियों की बिक्री को लेकर जिला प्रशासन के माध्यम से क्राफ्ट मार्ट में उपलब्ध कराया जायेगा. ताकि, दीदियों द्वारा उत्पादित सामग्रियों की जिलास्तर पर बिक्री की जा सके और ज्यादा से ज्यादा आमदनी हो.
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