वट सावित्री पूजा आज, फलों की कीमतों में उछाल

बरगद के पेड़ की पूजा करके परिक्रमा करती हैं

By ABDHESH SINGH | May 25, 2025 8:36 PM
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साहिबगंज. वट सावित्री पूजा को लेकर रविवार को बाजार में विशेष रौनक दिखी. दिनभर सुहागन महिलाओं ने पूजन सामग्री की खरीदारी की. फल, सूप व डाला की कीमतों में उछाल के बावजूद महिलाओं की आस्था भारी दिखी. रविवार को सरकारी हाट व शहर के चौक बाजार, कॉलेज रोड, पुलिस लाइन में खरीदारी की गई. सोमवार को सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. बरगद के पेड़ की पूजा करके परिक्रमा करती हैं. सुरक्षा का धागा बांधकर पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. पंडित पंकज पांडेय ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. सोमवार को सुबह 10:40 बजे अमावस्या प्रवेश करेगी. 10:41 से महिलाएं पूजा कर सकती हैं. मंगलवार सुबह 8:30 बजे तक अमावस्या है, इसके बाद पारण करेंगी. इधर व्रत को लेकर बाजार दिन भर महिलाओं से गुलजार रहा. फल की कीमतों में आंशिक उछाल देखा गया. केला, सेब, लीची की कीमत अधिक देखी गई. पंखा 30 से 40 रुपये प्रति पीस की दर से बिका. डाला 60 से 100 रुपये प्रति पीस बिका. कैसे करें वट सावित्री की पूजा अगर आप बरगद के पेड़ की पूजा करने नहीं जा सकते हैं, तो अपने घर पर ही त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा कर सकते हैं. बरगद के पेड़ की टहनी तोड़ कर उसे गमले में लगा लें. विधिवत इसकी पूजा करें. पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल और धूप का इस्तेमाल करें. सबसे पहले वट वृक्ष की पूजा करें. फिर सावित्री सत्यवान की कथा सुनें और दूसरों को भी सुनायें. क्या है वट वृक्ष का महत्व: पंकज पांडेय ने बताया कि हिंदू शास्त्रों के अनुसार वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ देव वृक्ष माना जाता है. देवी सावित्री भी वृक्ष में निवास करती हैं. मान्यताओं के अनुसार वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुनः जीवित किया था. तब से यह व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है. इस दिन विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वटवृक्ष की पूजा करती हैं. वृक्ष की परिक्रमा करते समय इस पर 108 बार कच्चा धागा लपेटा जाता है. महिलाएं सावित्री सत्यवान की कथा सुनती हैं. सावित्री की कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पति के संकट दूर होते हैं.

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