रिटायरमेंट के बाद बच्चों को फ्री में छऊ नृत्य सीखा रहे हैं गुरु विजय साहू, अब तक 150 से अधिक बच्चे ले चुके हैं शिक्षा

Jharkhand News: विजय साहू रिटायरमेंट के बाद छऊ नृत्य सीखा रहे हैं. बीते तीन सालों में 150 से अधिक बच्चे इस कला की शिक्षा उनसे ले चुके हैं. उनके इस काम में परिजन भी उनका सहयोग करते हैं.

By Sameer Oraon | February 12, 2025 2:22 PM
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सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश : सरायकेला के छऊ गुरु विजय कुमार साहू सरकारी सेवा से रिटायरमेंट के बाद अब ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को मुफ्त में छऊ नृत्य सीखा रहे हैं. पिछले तीन वर्षों में 150 से अधिक बच्चे उनसे सरायकेला शैली के छऊ नृत्य की शिक्षा ले चुके हैं. बताते चलें कि गुरु विजय कुमार साहू राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र, सरायकेला में 8 अक्टूबर 1990 से 31 दिसंबर 2020 तक बतौर वरीय अनुदेशक अपनी सेवा दे चुके हैं. सरकारी सेवा से रिटायरमेंट के बाद विजय साहू ने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं और बच्चों को अपनी कला-संस्कृति से जोड़ने का बीड़ा उठाया है.

डेढ़ सौ से अधिक बच्चों को छऊ नृत्य की शिक्षा दे चुके हैं गुरु विजय साहू

सरायकेला के छऊ गुरु विजय साहू ने सेवानिवृति के बाद वे विभिन्न गांवों में जाकर बच्चों को अपनी कला-संस्कृति के प्रति जागरूक किया. इसके बाद वे छोटे-छोटे ग्रुप बना कर बच्चों को छऊ नृत्य सिखाना शुरू किया. शुरुआत में साधन और समय के अभाव में कई बच्चे और युवा छऊ नृत्य सीखने के लिए गांव से शहर नहीं आ पाते थे. ऐसे में गुरु विजय साहू क्षेत्र के गांवों में जाकर नई पीढ़ी को छऊ नृत्य सीखाने शुरू किया.

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परिजन भी करते हैं विजय साहू का सहयोग

विजय साहू अब तक सरायकेला के टांगरानी में 50, नातीडीह में 30, कुदरसाही में 32, पारोलपोशी में 20, राजनगर में 25 बच्चों को छऊ नृत्य सीखा चुके हैं. इस कार्य में उन्हें उनके परिजनों का भी पूरा सहयोग मिला. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे गुरु विजय साहू से छऊ के विविध मुद्रा, ताल, मात्रा की जानकारी लेकर छऊ नृत्य में पारंगत हो रहे हैं.

छऊ नृत्य कला के लिए आजीवन कार्य करते रहेंगे: विजय साहू

गुरु विजय साहू का कहना है की सरायकेला की पहचान छऊ नृत्य कला से है. नयी पीढ़ी को इस नृत्य कला को जोड़ने और नृत्य कला के प्रचार प्रसार के लिए वे हमेशा कार्य करते रहेंगे. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में अन्य गांवों में भी निशुल्क रूप से छऊ नृत्य सीखाने की योजना है. ताकि इस कला को आजीवन जीवत रखा जा सके. मालूम हो कि गुरु विजय कुमार साहू का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी छऊ नृत्य के लिये कार्य करता आ रहा है. इस कार्य के लिए उनके पिता स्व. गुरु केदार नाथ साहू पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजे जा चुके हैं.

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