बानो. प्रखंड के विभिन्न सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सड़क के अभाव में प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए खाट का सहारा लेना पड़ रहा है. कई गांवों से चार-पांच किमी तक खाट पर मरीजों को ढोकर मुख्य सड़क तक लाया जा रहा है. बानो प्रखंड में इस तरह का मामला आम बात हो गयी है. एक ओर सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती है. झारखंड सरकार एक ओर जहां शहरों में फ्लाईओवर बना रही है, वहीं केंद्र सरकार बड़े-बड़े एक्सप्रेस हाइवे बना रही है. लेकिन झारखंड के सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड की कहानी अलग है. कई गांव आज भी विकास से कोसों दूर हैं. आज भी ग्रामीण पगडंडियों के सहारे चलने को विवश हैं. सड़क व पुल-पुलिया के अभाव में लोगों का जीना दूभर हो गया है. खासकर गांव में किसी की तबीयत खराब हो जाती है, तब उसको अस्पताल पहुंचाना मानो जंग जीतने के बराबर हो जाता है. एक सप्ताह के अंदर में बानो प्रखंड की तीन हृदय विदारक तस्वीरें मन को विचलित कर रही हैं. सरकार जहां महिलाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है तथा कई वायदे किये जाते हैं, उन वादों के सामने ये दर्द की दास्तां बयां करती तस्वीरें झकझोर देती हैं. केस स्टडी- 1: यह तस्वीर डुमरिया पंचायत के मारिकेल गांव की एक जून 2025 की है. गांव तक सड़क नहीं रहने से गर्भवती महिला को खाट पर लाद कर तीन किमी दूर सड़क तक मुखिया व ग्रामीणों के सहयोग से लाया गया. इसके बाद एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया. केस स्टडी- 2: यह तस्वीर तीन जून 2025 की है. बांकी पंचायत के डालियामार्चा गांव में फिर एक बार सिस्टम खाट पर नजर आया. प्रसव पीड़ा होने पर एक गर्भवती महिला को सहिया निरावती देवी ने ग्रामीणों के सहयोग से पहाड़ी क्षेत्र के दुर्गम रास्तों से होकर चार-पांच किमी की दूरी तय कर भूरसाबेड़ा तक पहुंचाया, जहां एंबुलेंस पहले से खड़ी थी. इसके बाद एंबुलेंस से अस्पताल में भर्ती कराया गया. केस स्टडी- 3: यह तस्वीर गेनमेर पंचायत अंतर्गत टोनिया कर्राडमाइर की है. गर्भवती महिला हेमंती देवी को ग्रामीणों के सहयोग से खाट पर कंधों के सहारे ढोकर पांगुर नदी पार कर रोड तक लाया गया. इसके बाद ऑटो रिक्शा से ग्रामीणों ने 15 किमी दूर हुरदा स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर भर्ती कराया. यहां पुल के अभाव में गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है.
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