सिमडेगा. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद समेत कई जिलों में वक्फ संशोधन कानून की आड़ में हिंदुओं को निशाना बनाये जाने के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर शनिवार को नगर परिषद कार्यालय के समीप धरना प्रदर्शन किया गया. धरना में जिलाध्यक्ष ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन की आड़ में बंगाल में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है. महिलाओं व युवतियों के साथ दुराचार हो रहा है. ममता बनर्जी की सरकार इस कानून की आड़ में तुष्टीकरण की राजनीति करते हुए कट्टरपंथियों को संरक्षण दे रही है, जिससे हिंदू नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. कहा कि बंगाल में जिस तरह से वक्फ कानून में संशोधन के बाद जमीन कब्जाई जा रही है व मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है. हिंदू समाज पर खुल कर हमले हो रहे है, यह चिंताजनक ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है. यह सब कुछ ममता सरकार की सह पर हो रहा है. बंगाल में हिंदुओं की आस्था, अस्तित्व और अस्मिता को मिटाने का षड्यंत्र चल रहा है. बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लागू किया जाये, ताकि वहां की जनता को न्याय मिल सके. लहरू सिंह ने कहा कि बंगाल में हिंदू अपने ही देश में पराया महसूस कर रहे है. सरकार को यह समझना होगा कि यह देश संविधान से चलता है. किसी मजहबी कानून से नहीं. हम मूकदर्शक बन कर नहीं बैठ सकते. शीतल प्रसाद ने कहा कि बंगाल की स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है. वहां मंदिरों को जलाया जा रहा है. घरों पर हमले किये जा रहे हैं. इसके बावजूद प्रशासन मौन है. ममता सरकार की प्राथमिकता कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति है. प्रकाश दास ने कहा कि बंगाल में हो रही घटनाएं एक समाज विशेष के खिलाफ सोची-समझी साजिश है. हमें इस तरह की नीतियों के खिलाफ संगठित होकर आवाज बुलंद करनी होगी. धरना के बाद राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें बंगाल में हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी से कराने, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें निष्कासित करने, भारत-बांग्लादेश की 450 किमी सीमा पर तारबंदी का काम शीघ्र शुरू करने की मांग की गयी. बंगाल की कानून व्यवस्था का संचालन केंद्रीय सुरक्षा बलों के हवाले करने की भी मांग की गयी. धरना स्थल पर काफी संख्या में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता, समर्थक व नागरिक उपस्थित थे.
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