वोकेशनल टीचर्स के साथ हो रहा भेदभाव, प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर सौंपा ज्ञापन

Vocational Teachers: वोकेशनल टीचर एसोसिएशन ने प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अटल पांडेय के नेतृत्व में झारखंड के उच्च शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर विश्वविद्यालयों की दुर्दशा, शिक्षकों की नियुक्ति, प्रमोशन, छात्रसंघ चुनाव और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की अनदेखी समेत 20 सूत्री मांग पत्र सौंपा. बैठक में छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा हुई और मंत्री ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया. यह पहल झारखंड की उच्च शिक्षा में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

By Guru Swarup Mishra | July 25, 2025 7:13 PM
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Vocational Teachers: वोकेशनल टीचर एसोसिएशन, झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सीनेट-सिंडीकेट सदस्य डॉ अटल पांडेय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू से मुलाकात कर झारखंड की उच्च शिक्षा व्यवस्था की गिरती स्थिति पर चिंता जताई. इस दौरान एक 20 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं पर समाधान की मांग की गई.

शिक्षा व्यवस्था की खामियों पर उठे सवाल

शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू से मुलाकात के बाद डॉ अटल पांडेय ने बताया कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में छात्र, शिक्षक और कर्मचारी अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं. नवंबर 2024 में झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा चार महीने में प्राध्यापकों की नियुक्ति का आदेश दिया गया था, लेकिन आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. राज्य में शिक्षकों के 2500 से अधिक पद रिक्त हैं. वहीं, कर्मचारियों की नियुक्ति 1990 के बाद नहीं की गई है.

प्राचार्य, कुलपति और परीक्षा नियंत्रक तक के पद रिक्त

राज्य के 54 कॉलेजों में प्राचार्य के पद खाली हैं. अधिकांश विभागाध्यक्ष, कुलसचिव, वित्त पदाधिकारी, परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्वपूर्ण पद प्रभार में चल रहे हैं या वर्षों से रिक्त पड़े हैं. इससे शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

वोकेशनल शिक्षकों के साथ हो रहा भेदभाव

25 वर्षों से संचालित वोकेशनल पाठ्यक्रमों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों के साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. जबकि इन शिक्षकों की योग्यता रेगुलर शिक्षकों के समान है, उन्हें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है.

छात्रसंघ चुनाव और प्रशासनिक लापरवाही

एसोसिएशन के रांची विश्वविद्यालय अध्यक्ष प्रो अवधेश ठाकुर ने बताया कि पिछले 6 वर्षों से छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं और सीनेट-सिंडीकेट में सरकार प्रतिनिधियों की नियुक्ति न होने के कारण विश्वविद्यालयों में लूट जैसी स्थिति बन गई है.

ऑनलाइन आवेदन से ग्रामीण छात्रों को परेशानी

ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या और ऑनलाइन आवेदन की बाध्यता के कारण चांसलर पोर्टल पर नामांकन में भारी गिरावट आ रही है. साथ ही, सत्र नियमित न होने से विद्यार्थियों को मानसिक तनाव और भविष्य की अनिश्चितता झेलनी पड़ रही है.

20 सूत्री मांगों में प्रमुख मुद्दे

  • वोकेशनल विषयों में पद सृजन और शिक्षकों और कर्मचारियों का अधिग्रहण
  • वोकेशनल स्टाफ को सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं पेंशन, रिटायरमेंट, टीए-डीए आदि
  • प्राध्यापक और कर्मचारियों की शीघ्र नियुक्ति
  • सभी विश्वविद्यालयों में प्राचार्य, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त पदाधिकारी आदि की नियुक्ति
  • एनसीसीएफ जैसी निजी परीक्षा एजेंसी को हटाना
  • छात्रसंघ चुनाव और सीनेट-सिंडीकेट का गठन
  • रांची विश्वविद्यालय की जमीन वापस दिलाना
  • सत्र नियमित करना और पोर्टल प्रक्रिया में सुधार
  • डॉ विभा पांडे को उप निदेशक पद से हटाना
  • रांची विश्वविद्यालय के 36 कर्मचारियों का वेतन निर्धारण शीघ्र कराना

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मंत्री से मिला सकारात्मक आश्वासन

उच्च शिक्षा मंत्री श्री सुदिव्य कुमार सोनू ने ज्ञापन को गंभीरता से लेते हुए सभी बिंदुओं पर सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा में सुधार को लेकर प्रतिबद्ध है. प्रतिनिधिमंडल में डॉ अटल पांडेय के साथ डॉ प्रशांत सौरभ, डॉ हेमचंद तिवारी, डॉ सुनील कुमार झा और अन्य सदस्य उपस्थित थे. सभी ने एक स्वर में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की मांग की.

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