अपराध कर रहे कोचिंग संस्थान और अभिभावक- गहलोत
आत्महत्या के मामलों में इजाफे को लेकर आयोजित चर्चा में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोचिंग संस्थान और अभिभावकों से कहा कि आप नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों को कोचिंग संस्थानों में दाखिला दिलाकर अपराध कर रहे हैं. यह माता-पिता की भी गलती है. छात्रों पर बोर्ड परीक्षाओं को पास करने और प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने का बोझ है. यह सुधार का समय है क्योंकि हम युवा छात्रों को आत्महत्या करते हुए नहीं देख सकते. एक भी बच्चे की मौत माता-पिता के लिए बहुत बड़ी क्षति है.
सीएम गहलोत ने कहा कि आप 9वीं-10वीं कक्षा के छात्रों को बुलाते हैं. आप कितना बड़ा अपराध कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है मानो कोई आईआईटीयन बन गया तो खुदा बन गया. कोचिंग में आते ही छात्रों का स्कूलों में डमी नामांकन करा दिया जाता है. यह माता-पिता की भी गलती है. छात्रों का स्कूलों में डमी नामांकन करवाया जाता है और वे स्कूल नहीं जाते हैं. उन पर बोर्ड परीक्षा पास करने और प्रवेश परीक्षा की तैयारी का दोहरा भार रहता है. गहलोत ने कहा कि कोटा के बाद जयपुर, सीकर, जोधपुर एवं बीकानेर आदि जिले भी कोचिंग हब के रूप में विकसित हो रहे हैं और कोचिंग संस्थानों से रोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध हो रहे हैं तथा राज्य की अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए सजग है.
छात्रों की आत्महत्या देशव्यापी समस्या- सीएम गहलोत
सीएम अशोक गहलोत ने छात्रों की आत्महत्या को देशव्यापी समस्या बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में विद्यार्थियों के खुदकुशी के 13 हजार से भी अधिक मामले सामने आये हैं. उन्होंने कहा कि इन मामलों में महाराष्ट्र में सर्वाधिक 1834, मध्यप्रदेश में 1308, तमिलनाडु में 1246, कर्नाटक में 855 तथा ओडिशा में 834 मामले दर्ज हुए. राजस्थान में यह आंकड़ा 633 है जो दूसरे राज्यों की तुलना में कम है, लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे के प्रति गंभीर तथा संवदेनशील है.
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इस दौरान मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि कोटा शहर में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले एक विशेष संस्थान के ही क्यों हैं. इससे पहले मुख्यमंत्री को सूचित किया गया था कि इस साल कोटा में 21 छात्रों ने आत्महत्या की जिनमें से 14 इसी संस्थान से थे. संस्थान के एक प्रतिनिधि ने स्पष्ट किया कि कोचिंग संस्थान नौवीं-दसवीं के छात्रों को नहीं बुलाते हैं लेकिन शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए बेहतर विकल्प चाहते हैं. इस पर गहलोत ने कहा कि वह किसी खास संस्थान को निशाना नहीं बना रहे हैं बल्कि यह जानना चाहते हैं कि संस्थान में सबसे ज्यादा आत्महत्या क्यों होती हैं.
भाषा इनपुट से साभार