निर्विवाद खत्म हुई राहुल की भारत जोड़ो यात्रा
सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का अंदरुनी विवाद अब भी बना हुआ है. हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व इन दोनों दिग्गज नेताओं के आपसी विवाद को लगातार खत्म करने के प्रयास में जुटी है, लेकिन इसमें उसे सफलता नहीं मिल रही है. सूत्रों की मानें, तो राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा बिना किसी विवाद के समाप्त हो गई.
कांग्रेस ने राजस्थान विवाद को ठंडे बस्ते में डाला
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के रणनीतिकारों ने भारत जोड़ो यात्रा के पहले चरण के समापन से पहले तक राजस्थान में गहलोत-पायलट के विवाद को ठंडे बस्ते में डाले रखने के लिए पार्टी नेतृत्व को राजी कर लिया है. इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि पार्टी नेतृत्व राजस्थान के विवाद को सुलझाने में जुट जाता है, तो उसका प्रभाव कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा पर पड़ना लाजिमी है. सूत्र बताते हैं कि आगामी 24 को जब भारत जोड़ा यात्रा के पहले चरण का समापन हो जाएगा, तब नौ दिनों के विराम के दौरान राजस्थान विवाद को सुझलाने पर काम किया जाएगा.
24 दिसंबर के बाद आलाकमान करेगा फैसला
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ऐसा लगता है कि अगर पार्टी नेतृत्व अभी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के झगड़े को निपटाने में जुट गया, तो फिर लोगों का ध्यान भारत जोड़ो यात्रा से हट जाएगा. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति आगामी 24 दिसंबर को राजस्थान के विधायक शांतिलाल धारीवावल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर पर अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंपेगी. पार्टी की ओर से इन विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और जांच की जिम्मेदारी अनुशासनात्मक कमेटी को सौंपी गई थी.
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अंदरुनी कलह का 2023 के चुनाव पर दिखेगा असर
माना यह भी जा रहा है कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति की ओर से 24 दिसंबर को रिपोर्ट सौंपने के बाद सोनिया गांधी से चर्चा के बाद ही पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राजस्थान विवाद को सुलझाने की पहल शुरू करेंगे. हालांकि, राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच धींगामुस्की लगातार जारी है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, राजस्थान कांग्रेस में गहलोत-पायलट की अंदरुनी कलह पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रही है. कांग्रेस को इसे निपटाने के लिए जल्द ही फैसला लेना होगा और अगर सचिन पायलट को उचित सम्मान नहीं दिया गया तो, पार्टी को 2023 के विधानसभा चुनावों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.