Home Badi Khabar इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की कुलपति पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने का आरोप, कोर्ट ने तलब किया जवाब

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की कुलपति पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने का आरोप, कोर्ट ने तलब किया जवाब

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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की कुलपति पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने का आरोप, कोर्ट ने तलब किया जवाब

Prayagraj News: पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कुलपति के पद पर नियुक्ति पाने का आरोप लगा है. इस संबंध में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एलएलएम छात्र अजय सम्राट ने जिला एवं सत्र न्यायालय में अर्जी दाखिल कर प्रो संगीता श्रीवास्तव के कुलपति पद पर नियुक्ति की वैधता को चुनौती दी गई है.

कोर्ट ने मांगा जवाब

कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई करते हुए कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव को नोटिस जारी करते हुए 4 मई को जवाब तलब किया है. कोर्ट के समक्ष छात्र नेता अजय यादव सम्राट की ओर से अधिवक्ता कौशलेंद्र सिंह ने पक्ष रखा.

न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दी थी अर्जी

इस संबंध में छात्र नेता अजय यादव ने बताया कि इससे पूर्व उन्होंने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष 156 (3) में याचिका दाखिल की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने सत्र न्यायालय में अपील की थी. सत्र न्यायालय ने तथ्यों के आधार पर संज्ञान लेते हुए प्रो. संगीता श्रीवास्तव को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है.

याचिका में इन बिंदुओं को बनाया आधार

याची का आरोप है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कुलपति पद पर आवेदन करते समय अपने आप को 1989 से एयू में प्रवक्ता बताया है, जबकि उनकी नियुक्ति 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रवक्ता पद पर विनियमित हुईं. इसके साथ ही प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए डीफील की उपाधि अनिवार्य है, जबकि, प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने 1996 में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है, जबकि विश्वविद्यालय में उन्हें 1989 से प्रवक्ता के तौर पर खुद को नियुक्त दिखाया है.

इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान में प्रवक्ता का पद 17 जुलाई 2003 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के द्वारा सृजित किया गया. तथ्यों के मुताबिक 2002 के पूर्व प्रो संगीता श्रीवास्तव की प्रवक्ता पद पर नियुक्ति संभव नहीं है.

इसके साथ ही याची का कहना है कि इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की रिट संख्या 52001/2000 संगीता श्रीवास्तव बनाम इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 22 जून 2002 को आदेश पारित किया गया है, जिसमे कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति का सेवा में विनियमितीकरण उच्च न्यायालय के आदेश की तिथि से ही किया जा सकता है इससे पूर्व नहीं.

4 मई को कोर्ट के समक्ष पेश करना है जवाब

इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रो. संगीता श्रीवास्तव 17 जुलाई 2003 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में अपनी सेवाएं दे रही हैं, न कि 1989 से फिलहाल मामले में 4 मई को प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव को कोर्ट के समक्ष अपना जवाब दाखिल करना है.

रिपोर्ट- एसके इलाहाबादी

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