फर्जी दाखिले की चल रही है जांच
दरअसल, यूपी सरकार ने 2021 में आयुष कॉलेजों में दाखिले के दौरान अनियमितता उजागर होने के बाद न सिर्फ कार्रवाई का सिलसिला शुरू किया बल्कि छात्रों का एडमिशन भी निरस्त कर दिए थे. फिलहाल, मामले में लगातार गिरफ्तारी की जा रही है. सरकार इस मामले की सीबीआई जांच के लिए भी सिफारिश कर चुकी है.
छात्रों के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई
आयुष कॉलेजों में शैक्षिक सत्र- 2021 में 891 फर्जी छात्रों के दाखिले का मामला संज्ञान में आया था. प्रदेश के आयुर्वेदिक एवं यूनानी व होम्योपैथी मेडिकल कॉलेजों में तमाम छात्रों ने हेराफेरी कर दाखिला ले लिया था. आयुष विभाग की जांच में गलत तरीके से दाखिला लेने वाले ये सभी छात्र चिन्हित किए गए हैं. अब सभी सरकारी कॉलेजों के प्रधानाचार्य ने अपने वहां के ऐसे छात्रों को निलंबित कर दिया है, वहीं निजी कॉलेजों के छात्रों के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई चल रही है. लगभग 10 निजी कॉलेजों ने छात्रों को निलंबित करने की सूचना आयुष विभाग में भेज दी है जबकि अन्य की रिपोर्ट अभी पहुंचना बाकी है.
सीबीआई से मामले की जांच कराने की सिफारिश
फिलहाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद मामले की जांच एसटीएफ कर रही है. एसटीएफ टीम ने 23 कॉलेजों के प्रचार्यों को नोटिस देकर तलब किया था.पू छताछ में पता चला कि आयुर्वेद, होम्योपैथिक और यूनानी कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिलों में काफी हेरफेर की गई. इसके अलावा मेरिट सूची से छेड़छाड़ कर अधिकारियों और कंपनी की साठगांठ से बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस पाठ्यक्रमों में 891 छात्रों को दाखिला दिया गया.फिलहाल, मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई है.