भ्रष्टाचार के लगे हैं आरोप
विवि के कर्मियों का कहना है कि प्रो. पाठक पर जब से भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, और लखनऊ में उस मामले को लेकर FIR दर्ज हुई है, तब से वह कैंपस नहीं आए, न ही अपने कार्यालय पहुंचे. ऐसे में उनका वेतन पास हो जाना हैरानी भरा फैसला है.
5 जनवरी तक विनय पाठक ने ली मेडिकल लीव
सैलरी रिलीज़ होने के मामले पर सीएसजेएमयू के पूर्व वित्त अधिकारी पीएस चौधरी का कहना है कि प्रोफेसर विनय पाठक ने पांच जनवरी तक मेडिकल लीव अप्लाई कर रखी थी. उन लीव के आधार पर ही उनका वेतन जारी किया गया. राजभवन ने उनके चिकित्सीय अवकाश को स्वीकृत किया था. कहीं न कहीं इस पूरे मामले की जानकारी विवि के सभी आला प्रशासनिक अफसरों को थी, लेकिन अन्य किसी अफसर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.
क्या है पूरा मामला
विनय पाठक के मामले में एसटीएफ ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है. जांच के दौरान विवि के कई प्रोफेसरों से भी पूछताछ हुई थी. नाम न छापने के शर्त पर एक अफसर का कहना है कि वीसी विनय पाठक ने अपने चहेते प्रोफेसरों को मनचाहे पद पर बैठा दिया. कैंपस के अंदर यह भी चर्चा है कि आखिर प्रोफसेर पाठक अपने मामले में बचेंगे या नपेंगे. उनके मामले को लेकर सीबीआई जांच की कवायद भी शुरू हो गई है
सीबीआई दर्ज करेगी केस
सीबीआई ने सीएसजेएमयू कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा की गई सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. इस संबंध में अधिसूचना जारी हो गई अब सीबीआई जल्द ही केस दर्ज करेगी. राज्य सरकार ने प्रो. पाठक के खिलाफ रंगदारी, कमीशन और अवैध वसूली के मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी. इस संबंध में भारत सरकार को पत्र भेजा गया था.
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प्रो. पाठक व उनके करीबी एक्सएलआईसीटी कंपनी के एमडी अजय मिश्रा पर लखनऊ में अक्टूबर में एफआईआर दर्ज की गई थी. इसकी जांच एसटीएफ कर रही थी और अब तक अजय मिश्रा समेत तीन लोगों को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है. आगरा विश्वविद्यालय में परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्रा. लि. के एमडी डेविड मारियो डेनिस ने अजय मिश्रा के जरिए प्रो. पाठक पर कमीशन लेने समेत अन्य आरोप लगाए थे.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी