Home Badi Khabar गोरखपुर में फाइन आर्ट के छात्रों ने बनाई इको फ्रेंडली मूर्तियां, हानिकारक रंगों का नहीं किया इस्तेमाल

गोरखपुर में फाइन आर्ट के छात्रों ने बनाई इको फ्रेंडली मूर्तियां, हानिकारक रंगों का नहीं किया इस्तेमाल

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गोरखपुर में फाइन आर्ट के छात्रों ने बनाई इको फ्रेंडली मूर्तियां, हानिकारक रंगों का नहीं किया इस्तेमाल

Gorakhpur News: कोर्ट के आदेश के बाद सरकार और जिला प्रशासन ने पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखकर कलाकारों द्वारा बनाई जाने वाली मूर्तियों में होने वाले हानिकारक रंगों के प्रयोग पर रोक लगा दी है. यही वजह है कि पिछले कुछ साल से विभिन्न त्योहारों पर मूर्तियां स्थापित करने वाले कलाकार इको फ्रेंडली मूर्तियां बना रहे हैं. दुर्गा पूजा पर शहर में स्थापित हो रहीं ऐसी ही इको फ्रेंडली मूर्तियां लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं.

स्वक्षता अभियान का भी रखा ख्याल

गोरखपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ यूनिवर्सिटी के पढ़े हुए फाइन आर्ट्स के कलाकारों ने ईको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई हैं. इन मूर्तियों को तालाब आदि में विसर्जित करने से किसी जीव जंतु को खतरा नहीं होता. दरअसल, मूर्तियों को खूबसूरत बनाने के लिए पहले हानिकारक केमिकल का प्रयोग किया जाता था. कोर्ट ने ऐसी चीजों के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी है. इन्हीं बातों का ध्यान रखते हुए इन मूर्तियों का इस्तेमाल किया जा गया है. कलाकारों का दावा है कि इन मूर्तियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वक्षता अभियान को भी नई रफ्तार मिलेगी.

दशहरा के बाद खोल दी जाएंगी मूर्तियां

लखनऊ यूनिवर्सिटी से फाइल आर्ट की डिग्री पा चुके सुशील कुमार गुप्ता ने प्रभात खबर से बात करते हुए बताया कि काफी पहले से ही स्वचालित मूर्तियां वह लोग बनाते हैं लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रभावित होकर वह और उनके साथी युवा कलाकारों ने उस काम को दोबारा शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया है कि अभी गोरखपुर और अगल-बगल के जिलों को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा जगहों पर इनकी फाइबर की मूर्तियां लगाई जाती हैं जो स्वचालित होती हैं. दशहरा के बाद यह मूर्तियां दोबारा खोल कर वापस रख दी जाती हैं. वहीं, जो छोटी मूर्ति स्थापित की जाती है जिसका पूजा-अर्चन होता है उसे विसर्जित किया जाता है. इससे पॉल्यूशन को कम करने में काफी मदद मिलती है. एक अन्य मूर्तिकार भास्कर विश्वकर्मा ने बताया कि इस तरह की मूर्ति सभी लोगों को बैठाना चाहिए. इससे पॉल्यूशन काफी हद तक कम होगा और झांकियां भी भव्य होगी.

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रिपोर्ट: कुमार प्रदीप

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