Sharad Yadav Death: सामाजिक न्याय के महानायक थे शरद यादव, 30 अगस्त 2018 को अंतिम बार आये थे लखनऊ

वरिष्ठ नेता और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार (12 जनवरी) को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. शरद यादव 75 वर्ष के थे. शरद घर अचानक बेहोश हो गये थे. उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया था.

By Amit Yadav | January 13, 2023 3:09 PM
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Lucknow: पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के निधन से उनके चाहने वाले हतप्रभ हैं. उनके निधन को सामाजिक न्याय की लड़ाई को बड़ा झटका माना जा रहा है. शरद यादव आखिरी बार 30 अगस्त 2018 को लखनऊ आये थे. यहां वह सामाजिक न्याय के पुरोधा बीपी मंडल की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुये थे. इस कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक चेतना फाउंडेशन ने किया था.

सामाजिक चेतना फाउंडेशन के महासचिव महेंद्र मंडल शरद यादव के बहुत करीबी थे. वह बताते हैं कि ‘साहब’ अंतिम बार लखनऊ बीपी मंडल जयंती के अवसर पर सामाजिक चेतना फाउण्डेशन न्यास के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए अपने दो दिवसीय दौरे पर ( 30 अगस्त व 31 अगस्त 2018) आए हुए थे. इस दौरान उनसे देश में सामाजिक न्याय के दरकते आधार को लेकर काफी देर बातचीत हुई थी. वह अपनी फेसबुक वॉल पर लिखते हैं कि आपके साथ बिताया एक एक पल ताउम्र जीवंत रहेगा.

पूर्व विधायक रामपाल यादव लिखते हैं कि शोषितों वंचितों की आवाज, सामाजिक न्याय के महानायक, मंडल मसीहा हम सबके आदर्श आदरणीय सरद यादव जी का निधन देश और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है. 30 अगस्त 2018 को सामाजिक चेतना फाउंडेशन न्यास के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि लखनऊ पधारे माननीय शरद यादव जी मेरे निज निवास गोमतीनगर में पधारे थे.

सुबह का नाश्ता और दोपहर का भोजन आपने परिवार के साथ घर पर किया. जीवन और राजनीति के तमाम पहलुओं पर आपने चर्चा की. आप हमेशा एक अभिभावक की भूमिका में कुछ नया सिखाने के लिए आतुर रहते थे, जब भी दिल्ली आना हुआ बिना आपसे मिले लखनऊ वापस नहीं आया. आप के निधन से मन बहुत व्यथित है. सामाजिक न्याय के महानायक को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

वामपंथी नेता अतुल अंजान कहते हैं कि जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में जयप्रकाश आंदोलन में अग्रणी कतारों के नेता शरद यादव समाजवादी राजनीति के पुरोधा थे. डॉक्टर लोहिया एवं मधु लिमए के विचारों से प्रभावित शरद यादव ने अपने जीवन के पांच दशक की राजनीति में गरीबों, हासिए पर पड़े हुए लोगों, किसानों, नौजवानों की आवाज संसद और संसद के बाहर बड़ी मजबूती से उठायी.

अतुल अंजान ने कहा कि बेरोजगार नौजवानों के सवालों को लेकर छात्रों, नौजवानों के राष्ट्रव्यापी संघर्षों के आंदोलनों के एक सक्रिय नेता के रूप में हमेशा अगली पंक्तियों में रहे. भारत के मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी धाक बनाई. संकीर्णता और सांप्रदायिकता के खिलाफ वह सदैव बोलते, लड़ते रहे. जीवन के अंतिम समय तक सभी धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और संविधान में विश्वास रखने वाली शक्तियों को संगठित करने के प्रयास में लगे रहे.

शरद यादव के देहांत से सांप्रदायिकता विरोधी संघर्ष और समाजवादी विचारों को स्थापित करने के महान कर्तव्य पथ पर आगे ले जाने के संघर्ष को गहरा झटका लगा है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से अतुल कुमार अनजान ने उनके समर्थकों, प्रशंसकों और उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की है.

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