UP MLC Election Results 2023: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की पांच सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा का दबदबा देखने को मिला है. समाजवादी पार्टी तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद सत्तारूढ़ दल को चुनौती देने में नाकाम साबित हुई. अब तक आए रुझान और परिणाम में भाजपा ने चार सीट पर जीत हासिल कर ली है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़त बनाई है.
विधान परिषद की बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक सीट पर भाजपा प्रत्याशी जयपाल सिंह हैट्रिक लगाने में कामयाब हुए हैं. यह एक बार फिर कमल खिला है. उन्नाव-कानपुर स्नातक एमएलसी सीट से भाजपा के अरुण पाठक को जीत मिली है. वहीं झांसी-इलाहाबाद शिक्षक एमएलसी सीट पर भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल तिवारी को निर्वाचित घोषित किया गया है. गोरखपुर-फैजाबाद स्नातक एमएलसी सीट पर भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह विजयी घोषित किए गए हैं. इसके अलावा कानपुर शिक्षक खंड एमएलसी चुनाव में निर्दलीय राज बहादुर सिंह चंदेल अपने निकटतम प्रतिद्वंदियों से आगे चल रहे हैं.
विधान परिषद की बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक सीट पर भाजपा प्रत्याशी जयपाल सिंह व्यस्त ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है. उन्होंने सपा के शिव प्रताप सिंह को 51257 वोटों से हराया. वर्ष 1986 से सीट पर अजेय भाजपा की यह आठवीं जीत है.
पहले ही चक्र से बढ़त बना चुके जयपाल सिंह ने कुल 66179 वोट हासिल किए. उनके निकटतम प्रतिद्वंदी शिव प्रताप सिंह यादव को 14922 मतों से संतोष करना पड़ा. वह अपनी जमानत बचान के लिए जरूरी 15450 वोट भी हासिल नहीं कर सके. आठ अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई.
विधान परिषद में शिक्षक व स्नातक कोटे की पांच सीटों के लिए 30 जनवरी को हुए चुनाव में कुल 56.53 प्रतिशत मतदान हुआ. ये वोटिंग 39 जनपदों के 1064 मतदेय स्थलों पर शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई. इनमें इलाहाबाद-झांसी खंड शिक्षक सीट पर सर्वाधिक 75.86 प्रतिशत वोटिंग हुई. वहीं कानपुर खंड स्नातक सीट पर सबसे कम 40.93 प्रतिशत मतदान हुआ. पांच सीटों पर हुए चुनाव में कुल 63 उम्मीदवार मैदान में थे.
यूपी विधानपरिषद में स्नातक और शिक्षक कोटे से चयनित पांच सदस्यों का कार्यकाल 12 फरवरी को खत्म हो रहा है. 100 सदस्यीय विधानपरिषद में मौजूदा समय में भाजपा के 81 सदस्य हैं, जबकि सपा के 9 सदस्य हैं.
नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए किसी भी राजनीतिक दल के पास इसमें से 10 प्रतिशत यानी 10 सीट होना जरूरी है. बीते वर्ष जुलाई में उच्च सदन के जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हुआ था, उनमें समाजवादी पार्टी के भी थे. विधान परिषद में नेता विपक्ष की कुर्सी के लिए सपा को एक सीट की जरूरत थी. हालांकि उसकी कोशिश कामयाब नहीं हुई.
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