कूड़ेदान में फेंकी गई एक बच्ची का अनाथालय में देखभाल तक नहीं हो पाया, जिससे वह काफी बीमार हो गई और लापरवाही के चलते उसकी मौत हो गई. सबसे बड़ी चौंका देने वाली बात यह रही कि तीन अन्य बच्चियां, जो मंदिर तथा खेत में मिली थीं, उनके साथ भी अनाथालय में लापरवाही बरती गई, जिससे वे बीमार हो गईं और उनकी भी मौत हो गई. इन मामलों पर जब संज्ञान लिया गया तो मजिस्ट्रेटी जांच शुरू कर दी गई है. इसकी जांच सिटी मजिस्ट्रेट विनोद कुमार सिंह को सौंपी गई है.
यह बच्चियां विभिन्न जिलों में अलग-अलग महीनों में लावारिस हालत में मिली थीं, जिन्हें स्थानीय पुलिस प्रशाशन द्वारा राजकीय बाल गृह (शिशु) खुल्दाबाद में रखा गया था. बताते हैं कि बाल गृह में इन बच्चियों की उचित देखभाल नहीं हो सकीं, लापरवाही के कारण ये गंभीर रूप से बीमार हो गईं थी. इसके बाद बच्चियों को अलग-अलग तारीखों पर चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था. वहां भी बाल गृह की ओर से उचित देखभाल नहीं की जा सकी जिस कारण से उनकी मौत हो गई. राजकीय बाल गृह में इस तरह से ढीलाढाली लापरवाही रवैया के चलते अक्सर नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है. जबकि बाल गृह में अच्छा-खासा स्टाफ तैनात किया जाता है, जिन पर लाखों रुपये हर माह खर्च किए जाते है.
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