वीडियोग्राफी के बीच खुला कमरा, नोट देख उड़े होश
चिकित्सा अधिकारियों के आवासों की मरम्मत के दौरान, सीएमओ डॉ. संजय कुमार शैवाल के निर्देश पर विवादित कमरे की स्थिति के बारे में पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई थी. पुलिस द्वारा किसी भी कानूनी विवाद की पुष्टि न होने पर समिति गठित की गई. जब कमरे का ताला वीडियोग्राफी के बीच खोला गया तो वहां अन्य सामानों के साथ नोटों की गड्डियों के ढेर मिले. एक-एक गड्डी की गिनती की गई, जिसमें 1000 के 776 नोट (₹7,76,000) और 500 के 2945 नोट (₹14,72,500) मिले। एक ₹5 का सिक्का भी बरामद हुआ.
2014 में हुई थी संदिग्ध मौत, तभी से कमरा था सील
29 जनवरी 2014 को डॉ. तिवारी की अचानक मौत हो गई थी. वे उस समय अकेले ही रहते थे और उनके आवास में एसी लगातार चल रहा था, जबकि बाहर कड़ाके की ठंड थी. इस परिस्थिति में उनकी मौत को लेकर कई सवाल उठे लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया. उनकी मौत के बाद पारिवारिक विवाद शुरू हो गया था, खासकर संपत्ति को लेकर. उसी विवाद के चलते पुलिस ने कमरे को सील कर दिया था, जो अब तक वैसा ही बंद था.
सीएमओ ने मांगा विभागीय निर्देश, कोष में जमा होंगे पैसे
सीएमओ डॉ. संजय कुमार शैवाल ने प्रमुख सचिव, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, एडी, डीएम और एसपी को इस मामले की पूरी रिपोर्ट भेज दी है. उन्होंने अनुरोध किया है कि बरामद राशि की जांच कर इसे राजकीय कोष में जमा कराया जाए. अधिकारियों का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इतने पुराने नोट वहां क्यों और कैसे रखे गए थे.
एसी में चल रही थी मौत या कुछ और?
शीतलहर के मौसम में लगातार एसी चलने के बीच हुई मौत और अब वर्षों बाद पुराने नोटों का मिलना, दोनों ही घटनाएं इस मामले को रहस्यमयी बनाती हैं. न पुलिस ने कोई मुकदमा दर्ज किया, न ही किसी ने इन पैसों के बारे में दावा किया. सवाल यह भी है कि क्या डॉ. तिवारी इस पैसे को जानबूझकर छुपाकर रखे थे, या फिर इसमें किसी और की भूमिका थी? अब मामले की गहराई से जांच की मांग उठ रही है.
एक पुराने सरकारी आवास से वर्षों बाद मिली भारी मात्रा में बंद हो चुके नोटों की बरामदगी ने सभी को चौंका दिया है. डॉ. तिवारी की रहस्यमयी मौत और यह कैश दोनों मिलकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं, जिसकी तह तक जाना जरूरी है.