Deoria News : 29 साल पहले हुए बलुअन कांड मामले में आया फैसला, कोर्ट ने सुनाया दोनों पक्षों के 41 लोगों को सजा

देवरिया में 29 साल पहले बाइक और साइकिल की टक्कर को लेकर हुए विवाद के बाद हत्या और डकैती के मामले में स्थानीय अदालत ने एक अभियुक्त को आजीवन कारावास व 10 हजार रुपए का जुर्माना और दूसरे पक्ष के 40 लोगों को 10-10 साल की सजा और एक-एक हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई.

By Sandeep kumar | February 18, 2024 11:06 AM
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Deoria News : यूपी के देवरिया में 29 साल पहले बाइक और साइकिल की टक्कर को लेकर हुए विवाद के बाद हत्या और डकैती के मामले में शुक्रवार को स्थानीय न्यायालय के अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम इंद्रा सिंह की अदालत ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने दोहरे हत्या के एक अभियुक्त को आजीवन कारावास व 10 हजार रुपए का जुर्माना और दूसरे पक्ष के 40 लोगों को 10-10 साल की सजा और एक-एक हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई. सभी 41 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. दरअसल, रामपुर थाना तब के खामपार थाना क्षेत्र के बलुअन गांव में 17 जनवरी 1995 को अजय लाल श्रीवास्तव मोटर साइकिल से जा रहे थे. गांव के ही छोटेलाल की साइकिल से टक्कर हो गई. सामान्य सी बात को लेकर गांव में गोलबंदी हो गई. पिछड़े वर्ग के कुछ लोग जो आईपीएफ से ताल्लुक रखते थे. उन्होंने इसे जातीय अस्मिता से जोड़कर मामले को तूल दे दिया. आसपास के लगभग आधा दर्जन गांवों के आईपीएफ कैडर से जुड़े लोगों ने अगले दिन अजय लाल श्रीवास्तव के घर पर सैंकड़ों की तादाद में ईंट पत्थर और लाठी डंडे से हमला कर दिया. हमलावरों की बड़ी संख्या को देखते हुए अजय लाल श्रीवास्तव का परिवार अपने बचाव में छत पर चढ़ गया. अजय लाल श्रीवास्तव ने अपने बाबा की लाइसेंसी दोनाली बंदूक से हवाई फायरिंग शुरू कर दी. आईपीएफ की भीड़ इतनी आक्रोशित थी कि उनके घर में घुसकर लूटपाट शुरू कर दी और महिलाओं पर भी हमला शुरू कर दिया. अजय लाल श्रीवास्तव ने बचाव में गोली चलाई. जिसमें 60 वर्षीय महिला और 18 महीने के मासूम की मौत हो गई.

इस मामले बनाए गए थे कुल 59 अभियुक्त

दो पक्षों में के बीच हुई हत्या और डकैती के मामले में अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम इंद्रा सिंह की अदालत ने एक पक्ष के अभियुक्त अजय लाल श्रीवास्तव को 302, 307 के तहत आजीवन कारावास और 10 हजार रुपए का अर्थ दण्ड और दूसरे पक्ष के 40 अभियुक्तों को लूट और डकैती के मामले दोषी पाए जाने पर 10-10 साल की सजा और एक-एक हजार रुपए के अर्थ दण्ड के साथ सजा सुनाई है. इस मामले कुल 59 अभियुक्त बनाए गए थे. जिसमें ट्रायल के दौरान 10 लोगों की मौत हो चुकी है. 7 अभियुक्त नाबालिग और कुछ बरी कर दिए गए हैं. अपर शासकीय अधिवक्ता मनीष सिंह ने बताया कि जिले के इतिहास में पहली बार दीवानी न्यायालय ने इतनी बड़ी संख्या में एक साथ दोनों पक्षों के अभियुक्तों को सजा सुनाई है. जिसमें एक हत्या के अभियुक्त को आजीवन कारावास और 10 लोगों को 10-10 साल की सजा और अर्थ दण्ड भी शामिल हैं.

अजय लाल श्रीवास्तव के अधिवक्ता ने कही यह बात

अजय लाल श्रीवास्तव के अधिवक्ता राकेश सिंह बघेल ने बताया कि सत्र न्यायालय के फैसले से सहमत नहीं हैं. मेरे क्लाइंट ने आत्मरक्षा में गोली चलाई. वह सजा के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. 18 जनवरी को हुई घटना बिहार सीमा से लगे बलुअन गांव में घटी थी. आसपास के दर्जनों गांव बिहार के संगठन आईपीएफ के गहरे प्रभाव में थे. तत्कालीन एएसपी केपी सिंह और थानाध्यक्ष प्रभात राय की सूझबूझ और सख्ती से घटना जातीय हिंसा का रूप नहीं ले सकी.

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