Electricity in UP : काश! पानी और बिजली के खेत साथ-साथ होते. यह एक सपना हो सकता है. लेकिन, बुंदेलखंड इस सपने को हकीकत में बदल रहा है. योगी सरकार के प्रयास से शुरू हुई खेत तालाब योजना और सौर ऊर्जा को दिए जा रहे प्रोत्साहन से यह साकार हो रहा है. बूंद-बूंद पानी सहेजने के लिए सरकार खेत तालाब योजना पर काम कर रही है. इसके तहत तालाब की खुदाई पर पर सरकार 50 से 75 फीसद तक अनुदान देती है. सामान्य वर्ग के लघु सीमांत किसानों को लागत का 50 फीसद या 80 हजार रुपये और इसी वर्ग के अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति के किसानों को 75 फीसद या एक लाख रुपये तक का अनुदान देय है. योजना के तहत अब तक करीब 5000 तालाबों की खुदाई हो चुकी है. इन तालाबों में संचित बारिश का पानी सूखे के समय में सिंचाई और मवेशियों के पीने के काम आता है.
अब सौर ऊर्जा भी होगी बुंदेलखंड की पहचान
शौर्य एवं संस्कार के साथ अब सौर ऊर्जा भी होगी बुंदेलखंड की पहचान. क्योंकि, बिजली की खेती के लिए योगी सरकार का बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा पर खास फोकस है. इसके एक साथ कई लाभ हैं. उत्पादन में किसी तरह का प्रदूषण न होने के कारण यह इकोफ्रेंडली है. इसीलिए इसे हरित ऊर्जा भी कहते हैं. ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाउस गैसों और अन्य वजहों से मौसम में आया अप्रत्याशित बदलाव पूरी दुनिया के लिए बेहद गंभीर चुनौती है. इससे निपटने के लिए सभी देश ग्रीन एनर्जी की प्रोत्साहन दे रहे हैं. बुंदेलखंड के जरिये उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में मिसाल बन सकता है.
इको फ्रेंडली सौर ऊर्जा के नाते घटेगा प्रदूषण
एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में बिजली की खपत सालाना 16 फीसद की दर से बढ़ रही है. बढ़ते तापमान की वजह से आने वाले वर्षों में यह और बढ़ेगी. अगले दो तीन साल में यह खपत 53 हजार मेगावाट या इससे अधिक की हो जाएगी. ऐसे में योगी सरकार पारंपरिक ऊर्जा प्रणाली, थर्मल और हाइड्रो पावर पर निर्भरता कम करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसकी मुख्य वजह थर्मल और हाइड्रो पावर के जरिये बिजली उत्पादन में आने वाले भारी भरकम खर्च से बचना और पॉल्यूशन के बढ़ते स्तर को कम करना है.
अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में बिजली की अहम भूमिका
मालूम हो कि प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने में सबसे अहम भूमिका बिजली की होगी. दरअसल, योगी सरकार की नीतियों को देखते हुए विदेश के साथ देश के विभिन्न राज्यों के निवेशक यहां पर बड़े पैमाने पर निवेश करने के लिए आ रहे हैं. ऐसे में औद्योगिक गतिविधियों को चलाने के लिए बिजली की डिमांड काफी बढ़ जाएगी. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को इस खपत को पूरा करने के लिए सोलर एनर्जी पर फोकस करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए योगी सरकार नई उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 भी लेकर आई है, जिसके तहत सौर ऊर्जा को बढ़ाने के लिए कई तरह की रियाततें दी गईं हैं.
डिफेंस कॉरिडोर, फार्मा पार्क, बीडा के कारण भविष्य में बुंदेलखंड में बढ़ेगी बिजली की मांग
बुंदेलखंड सोलर एनर्जी के लिहाज से सबसे मुफीद जगह है. चित्रकूट और झांसी के दो डिफेंस नोड यहीं हैं. सरकार झांसी और कानपुर के बीच बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण (बीडा) के नाम से नया औद्योगिक शहर बना रही है. ललितपुर में फार्मा पार्क पर भी काम चल रहा है. चित्रकूट धाम विकास कॉरिडोर के जरिये जिस तरह चित्रकूट के विकास और एडवेंचर टूरिज्म के जरिये बुंदेलखंड के किलों, गढ़ और गढ़ियों के विकास का काम चल रहा है, उससे आने वाले दिनों में यहां पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी. नए होटल रेस्टोरेंट भी खुलेंगे। इस वजह से भी बिजली की खपत बढ़ेगी.
चित्रकूट, झांसी और ललितपुर में सोलर पार्क प्रस्तावित
इन सब वजहों और संभावनाओं के नाते योगी सरकार बुंदेलखंड को सोलर एनर्जी के हब में के रूप में विकसित करना चाहती है. इसके तहत चित्रकूट में 3400 एकड़ पर 800 मेगावाट की क्षमता वाला सोलर प्लांट बनेगा. इससे सालाना 1900 मिलियन यूनिट बिजली मिलेगी. इसी क्रम में झांसी में सालाना 600 मेगावाट की वार्षिक क्षमता वाला सोलर प्लांट स्थापित किया जा रहा है. ललितपुर में 1400 मिलियन यूनिट की वार्षिक उत्पादन की क्षमता वाला प्लांट लगेगा. बुंदेलखंड से लगे कानपुर शहर और देहात को भी अगर इसमें शामिल कर लें तो यहां भी सौर मंडल से 110 मेगावाट सालाना बिजली पैदा होगी.