यूपी कांग्रेस प्रभारी बने अविनाश पांडेय, लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा फेरबदल, प्रियंका गांधी लड़ सकती हैं चुनाव

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पद पर प्रियंका गांधी की जगह अब अविनाश पांडेय को जिम्मेदारी सौंपी है. अविनाश अभी झारखंड के प्रभारी हैं. इसे आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टि से अहम माना जा रहा है. प्रियंका गांधी अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं.

By Sandeep kumar | December 24, 2023 9:32 AM
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लोकसभा चुनाव के ठीक पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (All India Congress Committee) ने अपने पदाधिकारियों का बड़ा फेरबदल किया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पद पर प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की जगह अब नागपुर निवासी अविनाश पांडेय (Avinash Pandey) को जिम्मेदारी सौंपी है. अविनाश अभी झारखंड के प्रभारी हैं. इसे आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टि से अहम माना जा रहा है. प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले यूपी की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन तमाम प्रयास के बाद भी कांग्रेस के हाथ सिर्फ रायबरेली सीट लगी. इसी तरह वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई. पार्टी के विधायकों की संख्या सात से घटकर दो पर आ गई. फिलहाल प्रियंका गांधी को अभी कोई घोषित जिम्मेदारी नहीं दी गई है. विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश से दूरी बना ली थी. ऐसे में उत्तर प्रदेश प्रभारी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं थीं. शनिवार को महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से कई प्रदेशों के प्रभारियों की घोषणा की गई. इसमें महाराष्ट्र के नागपुर निवासी अविनाश पांडेय को उत्तर प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वह विधान सभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के घोषणा पत्र कमेटी के प्रभारी रह चुके हैं. राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय इससे पहले राजस्थान के चुनाव निरीक्षक एवं गुजरात व झारखंड के प्रभारी रह चुके हैं. वह पहली बार 1985-89 तक महाराष्ट्र के विधायक रहे. जुलाई 2010 में राज्यसभा सदस्य भी रहें हैं.

  • प्रियंका गांधी लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव

  • कांग्रेस की नजर ब्राह्मण वोटों पर

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प्रियंका गांधी लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव

जानकारी के मुताबिक प्रियंका गांधी से यूपी कांग्रेस प्रभारी का पद इसलिए वापस लिया गया है, ताकि वह लोकसभा चुनाव लड़ सकें. कयास लगाया जा रहा है कि प्रियंका अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं. कांग्रेस पार्टी के संविधान के अनुसार जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज, PCC मेंबर और AICC मेंबर अपने राज्य से चुनाव नहीं लड़ सकता है. अगर चुनाव लड़ना है तो पद छोड़ना होगा. कांग्रेस पार्टी में इस फेरबदल से साफ हो रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा के यूपी से चुनाव लड़ने की तैयारी है. बता दें कि 2022 का विधानसभा चुनाव अकेले प्रियंका गांधी के दम पर लड़ा गया था. चुनाव में नारा दिया गया…लड़की हूं…लड़ सकती हूं. टिकट देने में महिलाओं पर ज्यादा फोकस किया गया. चुनाव प्रचार की पूरी कमान प्रियंका के हाथ में थी. धूंआधार प्रचार किया, पर जब परिणाम आए तो निराशा हाथ लगी. पार्टी को विधानसभा में सिर्फ 2 सीटें ही मिलीं. 2022 के चुनाव परिणामों के बाद प्रियंका का रुझान यूपी की तरफ से कम हो गया. वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी के रूप में अविनाश पांडेय को जिम्मेदारी मिलने पर बधाई दी है. अजय राय ने कहा है कि अविनाश पांडेय पार्टी के वरिष्ठ अनुभवी नेता हैं, हम सभी उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में 2024 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सफलता दिलाने के लिए काम करेंगे. अविनाश पांडेय का अनुभव लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अभूतपूर्व सफलता दिलाएगा.

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कांग्रेस की नजर ब्राह्मण वोटों पर

बता दें कि उत्तर प्रदेश की सियासत में भले ही ब्राह्मणों की ताकत सिर्फ 8 से 10 फीसदी वोट तक सिमटी हुई है, लेकिन ब्राह्मण समाज का प्रभाव इससे कहीं अधिक है. ब्राह्मण समाज सूबे में प्रभुत्वशाली होने के साथ-साथ राजनीतिक हवा बनाने में भी काफी सक्षम माना जाता है. सूबे की करीब 5 दर्जन से ज्यादा सीटों पर ब्राह्मण वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. एक दर्जन जिलों में इनकी आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है. वाराणसी, चंदौली, महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, भदोही, जौनपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, अमेठी, बलरामपुर, कानपुर, प्रयागराज में ब्राह्मण मतदाता 15 फीसदी से ज्यादा हैं. यहां पर ब्राह्मण वोटर्स किसी भी उम्मीदवार की हार या जीत में अहम रोल अदा करते हैं. उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटर कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन सत्ता से बेदखल होने के बाद वो दूसरे दलों के साथ चला गया. यूपी में ब्राह्मण सीएम कांग्रेस के राज में ही मिला है. ऐसे में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपने पुराने और परंपरागत ब्राह्मण वोटों को वापस लाने के लिए तमाम जतन कर रही हैं, लेकिन उससे पहले सूबे में मजबूती के साथ अपने सियासी पैरों को जमा लेना चाहती हैं. कांग्रेस ने प्रमोद तिवारी को सूबे में आगे कर रखा है और उनकी बेटी आराधना मिश्रा को प्रियंका गांधी अपने साथ लेकर यूपी में घूमती हैं. उत्तर प्रदेश में अब तक 6 मुख्यमंत्री ब्राह्मण समाज से बने हैं और कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी यही मिसाल देते हुए सपा-बसपा और बीजेपी को चैलेंज करते हैं कि कोई एक भी ब्राह्मण को सीएम बना कर दिखा दे. इस तरह दबे पांव कांग्रेस ब्राह्मणों को रिझाने में जुटी है.

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