लखनऊ : राम कण-कण में हैं. राम जन-जन में हैं. योगी सरकार इस भावना से श्रीराम के आदर्शों व मूल्यों से लोगों को अवगत कराने जा रही रही है. सरकार का दावा है कि 500 वर्षों के बाद नव्य अयोध्या सांस्कृतिक व आध्यात्मिक रूप से और समृद्ध दिखेगी, जब 22 जनवरी 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी के करकमलों से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विरामजान होंगे. यूपी सरकार इस अवसर को अद्वितीय,अविस्मरणीय व अलौकिक बनाएगी. एक तरफ जहां देश-विदेश के कलाकार रामायण आधारित रामलीला की प्रस्तुति देंगे तो वहीं लोकपरंपराओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे. लोगों का मानना है कि लोक परंपराओं में प्रभु श्रीराम विद्यमान हैं. रामोत्सव के लिए नेपाल, कंबोडिया, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों के रामलीला मंडलियों के कलाकारों को आमंत्रित किये जा रहे है. साथ ही महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, कर्नाटक, सिक्किम, केरल, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, लद्दाख और चंडीगढ़ की मंडली भी श्रीराम के जीवन पर आधारित विभिन्न प्रसंगों की प्रस्तुतियां देंगी. तुलसी भवन स्मारक स्थित तुलसी मंच पर देश व विदेश की विभिन्न रामलीलाओं का मंचन प्रस्तावित है. रामलीला मंचन के लिए सरकार की तरफ से दो करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जाएगी.
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