Lucknow News: यूपी विधानसभा का शीतकालीन सत्र आगामी 28 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. 66 साल बाद विधानसभा सत्र जहां नये नियमों के साथ संचालित किया जाएगा. वहीं इससे पहले पार्टी कार्यालयों की तस्वीर भी बदली नजर आएगी. शीतकालीन सत्र से पहले विपक्षी दलों के कार्यालयों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. सदन के अंदर और बाहर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भले ही सत्तारूढ़ दल भाजपा की आलोचना करती रहे. लेकिन, वर्तमान सरकार में उसे बड़ा लाभ मिला है. विधानमंडल में सपा का कार्यालय अब पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा बढ़ा हो गया है, जबकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी को पहले से आवंटित किए गए बड़े दफ्तर वापस ले लिए गए हैं. अब दोनों दलों को छोटे कमरे से ही अपने कार्य पूरे करने होंगे. ये कमरे विभिन्न दलों को विधानमंडल में कार्यालय के रूप में इस्तेमाल करने के लिए आवंटित किए जाते हैं. इनमें विधायक और विधान परिषद सदस्य बैठते हैं. सत्र के दौरान यहां सबसे ज्यादा चहलकदमी देखने को मिलती है. वहीं अब विधानमंडल सचिवालय की ओर से कांग्रेस और बसपा को पूर्व में आवंटित बड़े कमरे वापस ले लिए गए हैं. इसके पीछे इन दलों के सदस्यों की संख्या पहले की अपेक्षा काफी कम होना है. जब इन दलों को कमरे आवंटित किए गए थे, तब इनके विधायक और विधान परिषद सदस्यों की संख्या काफी ज्यादा थी. लेकिन, अब बसपा का सिर्फ एक और कांग्रेस के दो विधायक हैं. ऐसे में इन दलों से बड़े कार्यालय वापस ले लिए गए हैं. इनमें आराधना मिश्रा मोना व वीरेंद्र चौधरी कांग्रेस के सदस्य हैं, वहीं उमा शंकर सिंह बसपा के सदस्य हैं. कार्यालय छीनने पर कांग्रेस और बसपा के नेताओं ने नाराजगी जताई है. विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने कहा कि दोनों दलों के लिए नए ऑफिस बनाए जाएंगे.
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