RAM MANDIR: रामनगरी अयोध्या एक बार फिर ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी बनने जा रही है. जहां कुछ ही महीने पहले भगवान श्रीराम लला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी, वहीं अब राम मंदिर में एक और दिव्य आयोजन की तैयारी शुरू हो चुकी है. यह आयोजन 3 जून 2025 से प्रारंभ होगा, जब भगवान राम के सेवकों — उनके परिजनों, अनुयायियों और प्रमुख देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसे “दूसरी प्राण प्रतिष्ठा” के रूप में देखा जा रहा है.
क्या है दूसरी प्राण प्रतिष्ठा?
राम मंदिर में पहली प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को सम्पन्न हुई थी, जिसमें रामलला की भव्य मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर विधिवत पूजन किया गया था. अब दूसरी प्राण प्रतिष्ठा के अंतर्गत उन देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, जो श्रीराम के परिवार, उनके सेवकगण और उनकी कथा से जुड़े हुए हैं.
इनमें प्रमुख रूप से मां सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान जी, सुग्रीव, विभीषण आदि की मूर्तियाँ शामिल होंगी. इसके अलावा भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की भी मूर्तियाँ मंदिर परिसर में स्थापित की जाएंगी.
आयोजन की तिथियाँ और विशेषताएँ
दूसरी प्राण प्रतिष्ठा का शुभारंभ 3 जून 2025 से होगा और यह आयोजन 7 दिनों तक चलेगा. अंतिम दिन, 9 जून को मुख्य प्रतिष्ठा और पूर्णाहुति का आयोजन होगा. इन सात दिनों में वैदिक मंत्रोच्चार, विशेष यज्ञ, हवन, अभिषेक और रात्रि में भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा.
इस अवसर पर देशभर से हजारों संत, शास्त्री, वेदाचार्य और पुरोहित अयोध्या पहुंचेंगे. आयोजन की भव्यता पहले प्रतिष्ठा जैसी ही होगी, हालांकि इसका केंद्रबिंदु अब भगवान श्रीराम के परिजन और उनके सहयोगी होंगे.
मूर्तियों की स्थापना का स्थान
राम मंदिर का निर्माण कार्य अभी भी विभिन्न चरणों में प्रगति पर है. गर्भगृह में जहां रामलला विराजमान हैं, वहीं मंदिर परिसर के अन्य कक्षों में राम परिवार और सहयोगी देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की जाएंगी.
विशेष बात यह है कि इन मूर्तियों की स्थापना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि शिल्प और वास्तुकला की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगी. इन सभी मूर्तियों को पारंपरिक कारीगरों द्वारा अत्यंत सुंदर ढंग से तराशा गया है, जिनमें हर एक मूर्ति की अपनी अलग पहचान और भाव-भंगिमा है.
आयोजन की तैयारियाँ
राम मंदिर ट्रस्ट और अयोध्या प्रशासन ने आयोजन की तैयारी शुरू कर दी है. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष प्लान तैयार किया गया है. मंदिर के चारों ओर सुरक्षा घेरा बढ़ाया जा रहा है. भीड़ को संभालने के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की जाएंगी, ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो.
साथ ही, इस आयोजन का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा ताकि देश-विदेश में बैठे श्रद्धालु भी इस दिव्य आयोजन का लाभ ले सकें. ट्रस्ट द्वारा विभिन्न भाषाओं में अनुवाद की भी व्यवस्था की जा रही है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
राम मंदिर में दूसरी प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक है. यह आयोजन यह दर्शाता है कि राम केवल एक राजा नहीं, बल्कि एक परिवार के मुखिया, एक भाई, एक पुत्र और एक आदर्श पुरुष के रूप में पूजे जाते हैं.
उनके साथ जुड़ी सभी कथाएँ, पात्र और घटनाएँ भारतीय जीवन दर्शन का हिस्सा हैं, और उनके सहयोगियों की प्रतिष्ठा उस समग्र संस्कृति को मंदिर परिसर में जीवंत करती है.
अयोध्या एक बार फिर आस्था, भक्ति और भारतीय परंपरा का केंद्र बनेगा
अयोध्या का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. जहां पहली प्राण प्रतिष्ठा ने भगवान राम को उनके भव्य मंदिर में विराजमान किया, वहीं दूसरी प्राण प्रतिष्ठा रामायण के समग्र चरित्रों को सम्मान देती है. यह आयोजन अयोध्या को एक बार फिर आस्था, भक्ति और भारतीय परंपरा का केंद्र बना देगा.
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