पात्र लोग भटक रहे, अपात्रों ने लिया लाभ
एक तरफ़ सरकारी गाइडलाइनों के मुताबिक गरीब और पात्र परिवार राशन कार्ड के लिए महीनों से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, दूसरी ओर अपात्र, फर्जी दस्तावेज़ और डुप्लीकेट आधार के दम पर सालों से मुफ्त राशन का लाभ उठा रहे थे. कई लोगों की शिकायतें लंबित हैं, जिनका अब तक न तो सत्यापन हुआ है और न ही कार्ड जारी हुए हैं. इससे गरीब वर्ग में आक्रोश है कि सिस्टम की गड़बड़ियों का खामियाजा उन्हें क्यों भुगतना पड़ रहा है.
तीन माह पहले भी हुआ था बड़ा खुलासा
करीब तीन महीने पहले भी एक बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें कई मृत व्यक्तियों के नाम पर राशन वितरित किया जा रहा था. जब इसकी जांच कराई गई तो सैकड़ों ऐसे कार्ड सामने आए जो या तो वर्षों से अपडेट नहीं हुए थे या जिनके धारक अब जीवित ही नहीं थे. अधिकारियों ने तत्परता दिखाते हुए हजारों फर्जी कार्डों को निरस्त कर दिया था. लेकिन तब भी सवाल उठा था कि ये गड़बड़ी इतनी देर से क्यों पकड़ी गई.
2,500 अमीरों ने खुद किया था कार्ड सरेंडर
एक और चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब यह पता चला कि ऐसे लोग भी फ्री राशन ले रहे थे, जो आयकरदाता थे और आर्थिक रूप से सक्षम थे. जब मीडिया में मामला उठा और शासन ने निर्देश दिए, तो खुद ही लगभग 2,500 अमीरों ने अपने राशन कार्ड तहसीलों और पूर्ति विभाग कार्यालयों में जाकर सरेंडर कर दिए. इससे साबित होता है कि सिस्टम की निगरानी कमजोर रही और वर्षों से अपात्र लोग सरकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठा रहे थे.
पूर्ति अधिकारी की सफाई
“डुप्लीकेट आधार कार्ड से राशन ले रहे 800 अपात्रों के कार्ड शासन से सूची मिलने के बाद सत्यापन कर निरस्त किए गए हैं. पात्र परिवारों के नए राशन कार्ड बनाए जा रहे हैं. जनता से अनुरोध है कि वह ई-केवाईसी अवश्य कराएं ताकि उनका रिकॉर्ड अपडेट रहे और उन्हें समय से खाद्यान्न वितरण हो सके.” अनूप तिवारी, जिला पूर्ति अधिकारी, बागपत
जानिए कैसे होता है राशन का वितरण
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत सरकार गरीबों को सस्ते या मुफ्त अनाज मुहैया कराती है। बागपत जिले में कुल 376 सस्ते गल्ले की दुकानों के माध्यम से 2,06,431 कार्डधारकों को हर महीने निश्शुल्क राशन बांटा जाता है.
प्रति यूनिट पर 5 किलोग्राम खाद्यान्न दिया जाता है, जिसमें 3 किलो चावल और 2 किलो गेहूं शामिल होते हैं.
अंत्योदय कार्डधारक: इन बेहद गरीब परिवारों को प्रति कार्ड 35 किग्रा अनाज (21 किग्रा चावल + 14 किग्रा गेहूं) उपलब्ध कराया जाता है.
यह वितरण आधार प्रमाणीकरण और ई-पॉस मशीनों के माध्यम से किया जाता है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे.
सख्ती जरूरी, वरना सिस्टम रहेगा धोखे में
राशन वितरण व्यवस्था में बार-बार सामने आ रहे फर्जीवाड़े से साफ है कि सिस्टम में गहरी खामियां हैं. एक ओर जहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अपात्र लोग लगातार
नई चालों से सिस्टम को धोखा दे रहे हैं. ज़रूरत है ई-केवाईसी को अनिवार्य रूप से हर छह महीने में दोहराने की, फील्ड वेरिफिकेशन को सख्त बनाने की और स्थानीय स्तर पर पारदर्शी निगरानी तंत्र स्थापित करने की, ताकि वास्तव में ज़रूरतमंदों तक ही लाभ पहुंचे.