DM के दिशा निर्देश पर हुई कार्रवाई
जिला प्रशासन ने यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम, 2018 के अंतर्गत की है. दरअसल, स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों के बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें छात्रों पर थोपी जा रही थीं और अभिभावकों को खास दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा था. जब अभिभावकों ने मामले की शिकायत दर्ज कराई तो, जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैसिया के दिशा निर्देश पर SDM डॉ. वंदना मिश्रा और DIOS श्यामा कुमार ने सैंट मैरी स्कूल में छापेमारी की कार्रवाई की. इस दौरान जांच में पाया गया कि शिक्षकों द्वारा उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों की किताबें पढ़ाई जा रही थी. इसके बाद जनपद स्तर की शुल्क नियामक समिति ने सभी संबंधित स्कूलों की विस्तृत जांच कराने का निर्णय लिया.
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नियामक समिति ने किया भंडाफोड़
दरअसल, जिलाधिकारी ने 12 अप्रैल को CBSE और ICSE से संबद्ध स्कूलों में किताबों की जांच के लिए जनपद स्तर पर अधिकारियों की तैनाती की थी. जब जांच किया गया तो यह सामने आया कि कई स्कूल NCERT की बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें इस्तेमाल कर रहे हैं और अभिभावकों को खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस मामले में 17 अप्रैल को जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक हुई, जिसमें जांच रिपोर्ट को गंभीरता से लिया गया और आवश्यक कार्रवाई पर विचार किया गया.
एक-एक लाख रुपए का जुर्माना
नियामक समिति ने इस मामले में उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम की धारा 8, उपधारा 10 (क) का उल्लंघन माना, जिसमें पहली बार नियम तोड़ने पर 1 लाख रुपए का जुर्माना तय है. ऐसे में जिलाधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि सभी स्कूल एक सप्ताह के भीतर यह जुर्माना DFRC (जिला शुल्क नियामक समिति) के खाते में जमा करें और जमा की गई रसीद जिला विद्यालय निरीक्षक को अनिवार्य रूप से सौंप दें.
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